भागवत कथा सुनने से ताप, संताप व पाप होते हैं समाप्त : स्वामी विश्वेश्वरानंद
जागरण संवाददाता, रोहतक : भागवत कथा सुनने से ताप, संताप व पाप ये तीनों ही समाप्त होते हैं। भागवत क
जागरण संवाददाता, रोहतक :
भागवत कथा सुनने से ताप, संताप व पाप ये तीनों ही समाप्त होते हैं। भागवत कथा अमृत है और यह संसार समुद्र है। इस संसार रूपी समुद्र में विष और अमृत दोनो हैं। मनुष्य हो भक्ति के मार्ग पर चलकर भक्ति भाव से इस कथा का अमृत पान जरूर करना चाहिए। ये प्रवचन स्वामी विश्वेश्वरानंद ने दिए। वे गांधी नगर स्थित पब्लिक पार्क में रविवार से शुरू हुए श्रीमद भागवत सप्ताह भक्ति ज्ञान यज्ञ में अमृत वर्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रभु के दर्शन भक्ति भाव से होते हैं। भागवत कथा का आयोजन ब्रह्मलीन स्वामी अमृतानंद महाराज के 15वें निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में किया गया है।
स्वामी विश्वेश्वरानंद ने कहा कि भागवत की कथा जीवन में सुख शांति और समृद्धि देने वाली है। इसी कारण प्रति वर्ष प्रतिदिन यह कथा सुनने का सौभाग्य मिलाता है। भागवत कथा सभी प्राणियों को सुननी चाहिए। कथा में पहले दिन के मुख्य अतिथि सीता राम सचदेवा व टिमी शर्मा रहे। जबकि कथा के यजमान गुलशन वधवा रहे। इस संबंध में जनकारी देते हुए राजकुमार नागपाल ने बताया कि इससे पहले दोपहर को क्लश यात्रा भी निकाली गई। यह क्लश यात्रा ब्रह्मवेदामृत कुटिया से आरंभ हुई और मुख्य मार्गो से होते हुए कथा स्थल पहुंची। इस दौरान अमृत सेवा समिति के सदस्य मौजूद रहे और ढोल नगाड़ों के साथ कलश यात्रा निकाली गई।