मेयर की जा सकती है कुर्सी, सीएम दरबार से कार्रवाई की मिली अनुमति
सोमवार की देर शाम से शहर में चर्चा रही कि शहर की मेयर को सस्पेंड कर दिया है। हालांकि देर रात तक किसी भी अधिकारी ने इसकी पुष्टि नही की थी।
जेएनएन, रोहतक। फर्नीचर घोटाले को लेकर शहर की मेयर के खिलाफ चल रही विजीलेंस जांच लगभग पूरी हो गई है। विजिलेंस ने अपनी जांच रिपोर्ट सीएम कार्यालय को सौंप दी थी। सोमवार को यह जांच रिपोर्ट अब शहरी स्थानीय निकाय मंत्री के दरबार में पहुंची।
सोमवार की देर शाम से शहर में चर्चा हो रही है कि शहर की मेयर को सस्पेंड कर दिया है। हालांकि देर रात तक किसी भी अधिकारी ने इसकी पुष्टि नही की थी। बता दें कि इस मामले में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पर फर्नीचर घोटाले का आरोप लगा है।
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यह है पूरा मामला
नगर निगम के सभी 20 पार्षदों के लिए फर्नीचर खरीदने के लिए हाउस की दूसरी बैठक में एजेंडा पास हुआ था। हालांकि वार्ड-5 के पार्षद सूरजमल रोज ने इन्कार कर दिया तो कुल 19 पार्षदों के लिए फर्नीचर खरीदने का प्रस्ताव पास हुआ। पूरे प्रकरण में सबसे पहले 30 जनवरी 2015 को शिकायत करने वाले भाजपा पार्षद अशोक खुराना का कहना है कि निगम में तैनात तत्कालीन इंजीनियर जगदीश चंद्र और वरिष्ठ लेखाधिकारी के साथ मिलकर तीन दुकानदारों से कोटेशन ली गई। जिमसें एसएस फर्नीचर व रियल वुड कार्नर से फर्नीचर खरीदना तय हुआ। इनका दावा है कि बाजारों की दरों से अधिक दामों पर फर्नीचर की खरीद की गई थी।
इसी प्रकरण को लेकर फिर से भाजपा के पार्षदों अशोक खुराना, पूनम किलोई, जय किशन शर्मा, ममता रानी ने फिर से शिकायत की। इस दफा सीएम ने पूरे मामले को लेकर विजिलेंस से जांच कराने के आदेश दे दिए हैं। इसलिए यह खेमा फिलहाल आश्वस्त है कि घोटाला हुआ है और प्रकरण में शामिल मेयर गुट पर कार्रवाई मानकर चल रहे थे। इस पूरे मामले की जांच विजिलेंस से कराई गई।
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विजिलेंस ने इस मामले की जांच रिपोर्ट सीएम कार्यालय को सौंप दी थी। जिसके बाद सीएम कार्यालय में फाइल को इसलिए भेजा गया ताकि कार्रवाई की अनुमति मिल सके। अब सीएम कार्यालय से कार्रवाई की अनुमति मिल गई है और शहरी स्थानीय निकाय मंत्रालय कविता जैन के दरबार में फाइल को भेज दिया गया है। अब किसी भी समय मेयर पर कार्रवाई हो सकती है।
फर्नीचर खरीद की फाइल पर छह अधिकारियों के हस्ताक्षर
नगर निगम सूत्रों का कहना है कि फर्नीचर घोटाले की जांच में यह भी पाया गया था कि छह अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। सूत्रों की मानें तो एक निगम आयुक्त, ज्वाइंट कमिश्नर से लेकर इंजीनियर, सीनियर एकाउंट्स आफिसर आदि छह अधिकारी थे। यदि विजिलेंस जांच होती है तो इन अधिकारियों पर भी शिकंजा कसना तय है।
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