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निजी मोबाइल कंपनी का एक टावर सील, 200 अभी भी अवैध

जागरण संवाददाता, रोहतक : नगर निगम ने बिना मंजूरी के धड़ल्ले से खड़े निजी संचार कंपनियों के टावर संचालक

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 01:01 AM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 01:01 AM (IST)
निजी मोबाइल कंपनी का एक टावर सील, 200 अभी भी अवैध
निजी मोबाइल कंपनी का एक टावर सील, 200 अभी भी अवैध

जागरण संवाददाता, रोहतक : नगर निगम ने बिना मंजूरी के धड़ल्ले से खड़े निजी संचार कंपनियों के टावर संचालकों को नोटिस और चेतावनी देने के बाद सील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सोमवार को निगम अधिकारियों ने जींद बाईपास स्थित एक निजी संचार कंपनी के टॉवर को सील कर दिया है। निगम का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।

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बता दें कि निगम क्षेत्र में 226 अवैध टॉवर खड़े हैं। जिनको नोटिस देकर नए नियमों के मुताबिक लाइसेंस लेने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन केवल 20 टॉवर संचालकों ने इसे गंभीरता से लिया और लाइसेंस लेने के लिए फीस जमा करवाने के लिए फाइल जमा करवाई है। निगम ने इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए सोमवार को सी¨लग अभियान शुरू कर दिया है। निगम की कार्रवाई से टावर संचालकों में हड़कंप मच गया है।

निगम निगम के जेडटीओ राजेंद्र अनेजा, टैक्स अधीक्षक सुरेंद्र गोयल और निरीक्षक दिनेश टक्कर के नेतृत्व में टीम पुलिस बल के साथ जींद रोड स्थित इंडस कंपनी द्वारा स्थापित टावर के समीप पहुंची और इसे सील कर दिया। निगम द्वारा शहर में अवैध रूप से खड़े निजी संचार कंपनियों के अन्य टावरों को भी सील किए जाने की शेड्यूल बना दिया गया है। नगर निगम प्रशासन ने पहले 15 मार्च तक फीस जमा कराने के निर्देश दिए गए, इसके बाद संपत्ति अटैच करने की चेतावनी दी गई। लेकिन इसके बावजूद जब निजी संचार कपंनियों के संबंधित अधिकारियों पर जूं नहीं रेंगी तो अब निगम अधिकारियों ने सी¨लग करना शुरू कर दिया है।

टावर संचालकों पर 42 लाख रुपये है बकाया

निगम की ओर से उन्हीं टावर संचालकों को नोटिस दिए गए हैं, उनके पास या तो ट्रेड लाइसेंस नहीं है या फिर लाइसेंस को रिन्युअल नहीं कराया है। इन सभी पर करीब 42 लाख रुपये तक बकाया है। बता दें कि नगर निगम 2013 में बना था। तभी से प्रत्येक दुकानदार से लेकर किराए पर दुकान, व्यवसायिक गतिविधियों से जुड़े संचालकों के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य किया गया था।

वर्जन

जिन टावर संचालकों पर रकम बकाया है, उन्हें हर हाल में 30 अप्रैल तक रकम जमा करानी है। करीब 20 टावर को वैध कराने के लिए फाइल निगम में जमा हो चुकी है। लेकिन अभी भी 200 के करीब टॉवर खड़े हुए हैं, जिनकी संपत्ति अटैच करने के साथ-साथ सी¨लग करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सोमवार को जींद बाईपास पर इंडस कंपनी का टॉवर सील कर दिया है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।

राजेंद्र अनेजा, क्षेत्रीय कराधान अधिकारी, नगर निगम।

20 वर्षो के लिए जमा करानी होती है फीस

टावर लगवाने के लिए 1.25 लाख से लेकर 2.50 लाख रुपये तक ट्रेड लाइसेंस की फीस जमा करानी होती है। यह फीस 20 वर्षों के लिए या फिर एग्रीमेंट की शर्तों के हिसाब से लागू होती है। यदि बिना नक्शा पास कराए ही टावर खड़ा किया जाता है तो कम्पाउं¨डग फीस के तौर पर 50 हजार रुपये अतिरिक्त देने होते हैं। रोहतक नगर निगम क्षेत्र के लिए 1.25 लाख रुपये तक लाइसेंस फीस तो 50 हजार रुपये प्रति छतरी देना होता है। यदि अतिरिक्त जितनी छतरी लगानी होंगी तो प्रति छतरी 50 हजार रुपये अतिरिक्त जमा कराने होते हैं। रिन्युअल एक साल बाद कराना होता है।

इन धाराओं में दिए गए थे नोटिस

नगर निगम प्रशासन ने हरियाणा नगर निगम अधिनियम-1994 की धारा 330 के तहत निगम एरिया में चलाए जाने वाले हर एक कामर्शियल संस्थान को ट्रेड लाइसेंस लेने की अनिवार्यता होती है। जबकि निगम को धारा-331, 335 और 336 में निगम की तरफ से लाइसेंस फीस से दोगुना तक जुर्माना लगाने में सक्षम है।

सर्वे में शहरी क्षेत्र में पाए गए टॉवर : 226

सालाना मिलना चाहिए राजस्व : 3.95 करोड़

कारण बताओ नोटिस : 226

बकाया लाइसेंस फीस : 42 लाख से अधिक

इन कारणों से उठ रहे हैं सवाल

1. नक्शा पास कराने के अलावा निगम को देनी होती है सूचना

जिन रिहायशी घरों में टावर लगाए जाने हैं तो उन्हें निगम प्रशासन से नक्शा पास कराना होता है। इसकी जानकारी निगम प्रशासन को भी देनी होती है, लेकिन तमाम लोग ऐसे भी हैं, जोकि जानकारी नहीं दे रहे। इसकी वजह है कि जो प्लॉट रिहायशी होते हैं, यदि टावर लगता है तो उनके यहां दो तरह से टैक्स जमा कराना होता है। जो रिहायशी क्षेत्र है, उस पर रिहायशी, जबकि टॉवर वाले क्षेत्रफल का व्यवसायिक तौर पर टैक्स जमा कराना होता है। आशंका है कि लाखों रुपये टैक्स के बकाया हैं।

2. एक साल के लिए दिया जाता है लाइसेंस

ट्रेड लाइसेंस एक साल के लिए जारी किया जाता है। लाइसेंस की सालाना 31 मार्च तक मान्य होता है। इसके बाद लाइसेंस का रिनुअल कराना होता है। ट्रेड लाइसेंस की श्रेणी में हेयर क¨टग की दुकानों से चाय तक की दुकानों के लिए अनिवार्य है। यदि फीस की बात करें तो सबसे वाहनों के शोरूम, एयर कंडीशन मैरिज हाल, को¨चग सेंटर, बैंक्वेट हॉल, मल्टीप्लेक्स, नर्सिंग होम, कपड़ों के शोरूम, निजी अस्पताल, होटल, मॉल्स आदि के लिए निर्धारित है। हर साल सख्ती क्यों नहीं होती।

ट्रेड लाइसेंस बनवाने के यह फायदा

ट्रेड लाइसेंस बनवाने का सबसे ज्यादा फायदा यह होगा कि शहरी क्षेत्र में संचालित प्रत्येक व्यवसायिक प्रतिष्ठान का ब्यौरा श्रेणीवार नगर निगम के पास मौजूद रहेगा। नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स जमा कराने में दिक्कत नहीं आएगी। जबकि सरकार की योजनाओं का लाभ श्रेणीवार व्यवसायियों को होगा। किसी घटना, दुघर्टना, आपदा आदि की स्थिति में भी लाइसेंस होने की स्थिति में नुकसान का आंकलन, दावा, आपत्ति में भी लाइसेंस के आधार पर दावा कर सकते हैं।

93 कैटेगरी में ट्रेड लाइसेंस लेने की व्यवस्था

नगर निगम की ओर से ट्रेड लाइसेंस देने के लिए कुल 93 कैटेगरी तय हैं। सबसे कम फीस 60 रुपये होती है। इसमें अधिकतर कारोबार 120 रुपये से 600 रुपये तक श्रेणी वाले हैं। ट्रेड लाइसेंस की फीस 120, 240, 540, 600, 1000 और 1200 रुपये तक तय है। यह फीस वार्षिक है। सामान्य दुकानों के लिए वार्षिक फीस 120 रुपये तय है। जबकि अस्पतालों में बेड के हिसाब से तो मैरिज पैलेस में जमीन के हिसाब से है। ब्लड बैंक के लिए सबसे कम 60 रुपये सालाना तय है।


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