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..नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग, पग तल में

जागरण संवाददाता, रोहतक : यूथ इंडिया एसोसिएशन द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस पर मंगलवार को विचार गोष

By Edited By: Published: Tue, 24 Jan 2017 07:50 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jan 2017 07:50 PM (IST)
..नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग, पग तल में
..नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग, पग तल में

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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यूथ इंडिया एसोसिएशन द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस पर मंगलवार को विचार गोष्ठी का आयोजन संस्था के कार्यलय में किया गया। गोष्ठी में संस्था के पदाधिकारियों द्वारा 'आधुनिक युग में महिलाओं की स्थिति' विषय पर ¨चतन किया गया। यूथ इंडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. कपिल कौशिक ने कवि जयशंकर प्रसाद की इन पंक्तियों से गोष्ठी का प्रारंभ किया, नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग, पग तल में, पियूष स्त्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में।

उन्होंने कहा कि वर्तमान युग की बात करें तो इसमें कोई दोराय नहीं कि स्त्रियों की स्थिति पहले से अच्छी है, लगभग सभी देशों में स्त्री ने पुन: अपनी शक्ति का लोहा मनवाया है। हम कह सकते हैं कि आज का युग स्त्री-जागरण का युग है। स्त्री और पुरुष दोनों एक रथ के पहियों के सामान हैं, यदि एक कमजोर या घटिया हुआ तो समाज का रथ निर्विकार रूप से आगे नहीं बढ़ सकता है। युग²ष्टा, युगसृष्टा नारियों के चरित्र हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। संस्था के उपाध्यक्ष डॉ. ललित कौशिक ने ¨चतन करते हुए बताया कि भारत में अभी भी कई ऐसे मंदिर हैं जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। अभी भी ऐसे कर्मकांड जारी हैं जिन्हें केवल पुरुष ही अंजाम दे सकते हैं। मुस्लिम समाज में तीन बार तलाक कहने के अति अन्यायपूर्ण रिवाज को मौलवी वर्ग ही जारी रखे हुए है।

शिक्षक तपेंद्र ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज के आधुनिक युग में भी महिला प्रतिदिन अत्याचारों एवं शोषण का शिकार हो रही है। मानवीय क्रूरता एवं ¨हसा से ग्रसित है। यद्यपि वह शिक्षित है, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है तथापि आवश्यकता इस बात की है कि उसे वास्तव में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय प्रदान किया जाए। समाज का चहुंमुखी वास्तविक विकास तभी संभव होगा। अर्थशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. ललित ने पुरुष प्रधान समाज पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमारे देश में जहां हमारे देश में महिला प्रधानमंत्री रह चुकी हों, जहां लड़कियों माउंट एवरेस्ट पर विजय पा चुकी हो, उसी समाज में महिला और पुरुष के बीच का विरोधाभास और भी ¨नदनीय है। इस देश में हमेशा स्त्री को मां, बहन या फिर बेटी के रूप में देखा गया है, फिर भी इतिहास गवाह है कि पारंपरिक और सामाजिक दृष्टिकोण से स्त्रियों की हमेशा उपेक्षा की गई है।


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