तीन साल : 1349 हादसे, 625 मौत .322 हादसे टूटी सड़कों के कारण
जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर के ग्रामीण क्षेत्र में सड़कें और शहर के अंदर चौराहों पर नाकामी का अंधेरा
जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर के ग्रामीण क्षेत्र में सड़कें और शहर के अंदर चौराहों पर नाकामी का अंधेरा छाया है। दोनों क्षेत्रों में खराब सड़कों के कारण हादसे खुद व खुद आमंत्रित होते हैं। एक तो जर्जर वाहन और ऊपर से टूटी सड़क। दोनों का जब मिलान होता है हादसा शायद भगवान भी नहीं रोक सकें।
दूसरी ओर खतरनाक सड़कों पर जिला प्रशासन की तरफ से न तो कोई चेतावनी बोर्ड होता है और न ही कोई चिह्न, जिससे चालक संभलकर चले। यहीं कारण है कि जिले में तीन साल में 1349 हादसे हुए। जिसमें कुल 625 लोगों की मौत हुई। हैरत की बात यह है कि 322 हादसे टूटी हुई सड़कों के कारण हुए हैं।
1100 किमी लंबी हैं जिले में पीडब्ल्यूडी की सड़कें
पीडब्ल्यूडी की जिले में करीब 250 सड़कें हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इन सड़कों की लंबाई 1100 किमी है। अफसरों का कहना है कि हर तीन साल बाद ही यूं तो नियम है कि मरम्मत कराया जाए। यदि सड़कों की सेहत अधिक खराब है तो उनका नए सिरे से निर्माण कराया जाता है। दैनिक जागरण द्वारा शहर और जिले की टूटी सड़कों की पड़ताल में पता चला कि शहर के मुकाबले देहात क्षेत्र में टूटी सड़कें अधिक है। इसकी सबसे बड़ी वजह सड़कों पर पानी भर जाना है।
इस तरह से पता चलता है हादसे का कारण
जिस समय हादसा हो जाता है तो पुलिस मौके पर पहुंचती है। पुलिस उस व्यक्ति से पूछताछ करती है, जो हादसे में घायल हुआ है। इसके बाद पुलिस की रिपोर्ट में एक कॉलम होता है, जिसमें हादसे का कारण भरना होता है। ट्रैफिक एसएचओ गुरदेव ¨सह की माने तो तीन साल में 322 हादसे टूटी सड़कों के कारण हुए है।
यह होने चाहिए टूटी सड़कों के पास यंत्र
1. जिस सड़क पर अधिक हादसे होते हैं वहां पर साइन बोर्ड होना चाहिए।
2. रात के समय में चमकने वाला रिफलेक्टर भी लगाए जाने चाहिए।
3. टूटी सड़कों के समीप सेंट्रल लाइन का करना बेहद जरूरी है।
4. जेब्रा क्रॉ¨सग व एश लाइन का होना भी यहां पर जरूरी है
इन स्थानों पर अधिक होते हैं हादसे
1. भिवानी रोड पर गांव भाली के पास।
2. हिसार रोड पर बहुअकबरपुर के समीप।
3. गोहाना रोड पर जसिया बाइपास के पास।
4. रोहतक-सांपला के बीच में खरावड़ के पास।
5. सांपला के गांव इस्माइला के पास।
6. गोहाना रोड पर वीटा मिल्क प्लांट के समीप।
बंद पड़ी हैं ट्रैफिक लाइटें
शहर की बात करें तो शीला बाईपास, सोनीपत स्टैंड, दिल्ली बाईपास, झज्जर चुंगी, भिवानी चुंगी, हिसार चौक, जींद चौक, सुखपुरा चौक, गोहाना बाइपास चौक, नए बस स्टैंड स्थित बाइपास रोड, अशोका चौक, शांतमई चौक, गोहाना अड्डा पर ट्रैफिक लाइटें तो लगी हुई है, लेकिन एक भी चौक पर यह लाइटें चलती नहीं है। यहां पर ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों को ड्यूटी देनी पड़ती है। लाइट नहीं होने के कारण भी हादसे होते है।
वर्जन
हमारे रिकॉर्ड में रोहतक शहर में कोई भी सड़क टूटी हुई नहीं है। गांव में जिस सड़कों पर रेगुलर पानी भरा रहता है वह अधिकांश टूटी हुई पाई जाती है। वहीं हाईवे या फिर एक्सप्रेस-वे पर हादसा होता है तो सड़क टूट जाती है, जिसे उसी समय ठीक कर दिया जाता है। गांवों में भी जो टुकड़े खराब पड़े है, उन्हें ठीक करने का हमारा अभियान जल्द ही चलने वाला है, जो आठ अप्रैल तक पूरा कर लिया जाएगा।
-प्रदीप रंजन, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर पीडब्ल्यूडी।