दादी के हाथ से की देसी घी की मालिश आई साक्षी के काम
जागरण संवाददाता, रोहतक : साक्षी जब तीन माह की थी तो मां सुदेश की आंगनबाड़ी में नौकरी लग गई। मोखरा से
जागरण संवाददाता, रोहतक : साक्षी जब तीन माह की थी तो मां सुदेश की आंगनबाड़ी में नौकरी लग गई। मोखरा से परिवार रोहतक में आ चुका था, लेकिन परेशानी थी कि बेटी को साथ रखा जाए या फिर नौकरी छोड़ी जाए। साक्षी की मां का हौंसला बढ़ाते हुए परिवार साथ आया। दादी चंद्रावली और दादा बदलूराम ने साक्षी को अपने पास रखा। उस समय साक्षी की उम्र महज तीन माह रही होगी। बोतल से दूध पिलाना पड़ता। दादी ही रखवाली करती। करीब छह-सात साल तक की उम्र में मोखरा में साक्षी रही।
यह बात कहते हुए साक्षी के ताऊ सतबीर ने कहीं। इनका कहना है कि उनकी मां पढ़ी-लिखी कम थीं, लेकिन उस समय हमें बुरा लगता कि मेरी मां व साक्षी की दादी उसे दोनों हाथ पकड़कर उठा लेती। उस दौरान सतबीर सहित पड़ोसी भी टोकते कि छोरी को हाथों से उठाना ठीक नहीं, दोनों हाथ निकल आएंगे। इन बातों से बेफिक्र दादी कह देती, इससे साक्षी की हड्डियां मजबूत होंगी, न कि हाथ निकलेंगे। ताऊ सतबीर कहते हैं कि दादी दो से तीन बार देसी घी की मालिश करती। उस समय हमें पता नहीं कि वह अक्सर ऐसे क्यों बोलती थीं, लेकिन अब पता चलता है कि मालिश और उनकी सोच कहां थी। गांव में रहने के कारण साक्षी को अपने दादा-दादी से बेहद लगाव है।
परिवार में सबसे छोटी और कर दिया बड़ा काम
साक्षी की बुआ राज कहती हैं कि परिवार में सबसे छोटी है, जबकि सबसे बड़ा काम कर दिखाया। बुआ कहती हैं कि शिक्षक पद से रिटायर ताऊ के अलावा तीन बुआ भी हैं। पूरे परिवार में सबसे छोटी है और सबकी लाडली। अब पूरे परिवार को भी साक्षी के पहुंचने का बेसब्री से इंतजार हो रहा है।