आधी आबादी को चाहिए सफर की मुश्किलों से आजादी
जेपी शर्मा, रोहतक : 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा बोलने में जितना सुलभ है सुनने में उतना ही अच्छा
जेपी शर्मा, रोहतक : 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा बोलने में जितना सुलभ है सुनने में उतना ही अच्छा लगता है, लेकिन इस नारे को क्रियान्यवयन करने के लिए सरकार को अभी ढेरों प्रयास करने होंगे। बेटियों को पढ़ाने के लिए उन्हें स्कूल-कॉलेज तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। घर, गांव और कस्बे से दूर बेटियां आसानी से पहुंचे और उनके परिजन भी इसके लिए सहज तैयार हो। इसके लिए सरकार को कम से कम परिवहन व्यवस्था में सुधार बेहद जरूरी है। अगर महिलाओं व छात्राओं के लिए परिवहन सेवाओं की बात करें तो जिले के अधिकांश मार्ग महिला स्पेशल की राह देख रहे हैं। इन मार्गों पर छात्राओं व महिलाओं को बेहद परेशानियों का सामना कर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा है। रोडवेज विभाग ने केवल तीन मार्गों पर महिला स्पेशल बस की व्यवस्था की है। अन्य मार्ग इससे महरूम है, इसके चलते समस्या गंभीर हो गई है।
एजुकेशन हब होने के कारण और बढ़ गई है मुश्किल
प्रदेश में यूं तक शहर एजुकेशन हब के नाम से मशहूर है लेकिन इस खासियत ने परिवहन के मामले में इसकी मुश्किल और बढ़ा दी है। दरअसल, शहर में कई विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेज, प्रोफेशनल कोर्स कालेज, स्टेट यूनिवर्सिटी व अन्य संस्थान मौजूद हैं। इसके चलते हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं दूसरे शहर व कस्बों से यहां प्रतिदिन सफर तय कर यहां पहुंचते हैं। छात्राओं को गांव और घर से निकलकर कालेज तक पहुंचने में बेहद परेशानी उठानी पड़ती है। कॉलेज से घर जाने के दौरान भी उन्हें मशक्कत करनी पड़ती है। इसके बावजूद जिले में केवल तीन रूट पर महिला स्पेशल बस चलाई गईं हैं। अन्य रूट पर महिला स्पेशल बस न होने के कारण हालात बेहद बुरे हैं। यहां पुरुषों के साथ ही महिला व छात्राओं को धक्का-मुक्की झेलकर सफर करना पड़ता है।
कभी लटककर तो कभी छत पर सफर करती हैं छात्राएं
महिला बस न होने के कारण जिले अधिकांश मार्गों पर छात्राओं को मुश्किल उठानी पड़ रही है। सीट के लिए ही नहीं अधिकांश रूटों पर महिलाओं व छात्राओं को बस में चढ़ने के लिए ही जद्दोजहद करनी पड़ती है। इसी परेशानी के मद्देनजर जिला परिषद के चेयरमैन बलराज कुंडू ने महम रूट पर चार महिला स्पेशल बसें चलाईं हुईं हैं। इन बसों का पिछले रक्षाबंधन पर निश्शुल्क संचालन शुरू किया था। इन बसों से महम रूट की छात्राओं व महिलाओं को काफी राहत मिली, लेकिन अब इन बसों में भी लगातार भीड़ बढ़ती जा रही है। अब इन बसों का आलम यह है कि छात्राएं बस की छत पर और कई बार गेट पर लटककर सफर करने को विवश होती हैं। जिस रूट पर फिलहाल चाल बसें चल रही हैं, उस रूट का यह हाल है तो अन्य रूटों की क्या स्थिति होगी। सरकार और परिवहन निगम के रवैये के चलते ये परेशानियां उत्पन्न हो रही है। जब तक सरकार यह सुविधा मुहैया नहीं करा पाती तब तक बलराज कुंडू की ही तरह किसी और संगठन या व्यक्ति को भी इसी तरह का कदम उठाना होगा, जिससे छात्राओं व महिलाओं को थोड़ी राहत मिल सके।
बाईपास बनने से गांव तक नहीं जाती रोडवेज बस
जिले के चारों ओर बाईपास बन गए हैं। इसके चलते अधिकांश रोडवेज बस बाइपास से निकल जाती है और सैकड़ों गांवों के आसपास से नहीं गुजरती। इसके चलते बाईपास के एरिया में आने वाले गांवों के लोगों व महिलाओं को बसों के लिए परेशानी उठानी पड़ती है। यही कारण है कि अधिकांश महिलाएं व छात्राएं सफर करने से बचती है।
छात्राओं के बैठने का इंतजार करते हैं मनचले
स्थानीय रोडवेज स्टैंड का आलम यह है कि यहां से सफर करने वाले कुछ मनचले बस यही ताक लगाए रहते हैं कि कब बस में लड़कियां सवार हों और फिर वह भी पीछे से उनके आसपास की सीट पर बैठ जाते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बड़ी संख्या में लड़के बस स्टैंड पर खड़े होकर लंबे समय तक इंतजार करते हैं और लड़कियों के सवार होते ही वह उनके पीछे जाकर बैठते हैं। इसके चलते बस में महिलाओं व छात्राओं से छेड़छाड़ की घटना भी होती है। पूर्व में भी बस में छात्राओं से छेड़छाड़ के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं।
इन रूटों पर जरूरी है बसें
रोहतक-झज्जर
रोहतक-भिवानी
रोहतक-दिल्ली
रोहतक-हिसार
रोहतक-गोहाना
रोहतक-पानीपत
रोहतक-जींद
सरकार की अनुमति लेने के बाद चलती है महिला बस : जीएम
रोडवेज परिवहन के महाप्रबंधक राहुल जैन से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि महिला बस चलाने के लिए अब सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। जिन रूटों पर बसों की डिमांड है। वहां का प्रस्ताव भेजा हुआ है। जब सरकार से अनुमति मिलेगी, तो महिला स्पेशल बसों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
सुविधा के साथ सुरक्षित भी हैं हमारी बस : कुंडू
हमारी बसों में शुरूआत में इतनी भीड़ नहीं थी, लेकिन जब छात्राओं को पता चला कि हमारी बस सुविधा के साथ-साथ सुरक्षित भी है। इसके बाद से लगातार भीड़ बढ़ रही है। छात्राओं को इससे छुटकारा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द छात्राओं को भीड़-भाड़ की परेशानी से मुक्ति मिल जाएगी। छात्राएं बस में खुद को इतनी सुरक्षित समझती है कि सीटें फुल होने के बावजूद भी उसी में सफर करने का प्रयास करती हैं।
-बलराज कुंडू, जिला परिषद चेयरमैन।