गैर मान्यता व अराजकीय स्कूलों पर फिर लटकी तलवार
जागरण संवाददाता, रोहतक : गैर मान्यता प्राप्त व अराजकीय स्कूलों पर एक बार फिर बंद होने की तलवार लटक ग
जागरण संवाददाता, रोहतक : गैर मान्यता प्राप्त व अराजकीय स्कूलों पर एक बार फिर बंद होने की तलवार लटक गई है। शिक्षा निदेशालय ने निर्देश दिए हैं कि इन सभी स्कूलों की दोबारा जांच की जाए और जो स्कूल मापदंड पूरा न करता हो तो उस स्कूल को नए सत्र से बंद कर दिया जाए। इससे निजी स्कूल संचालकों में भी हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई है।
प्रदेशभर में 1372 गैर मान्यता प्राप्त व 3200 अराजकीय स्कूल संचालक स्थाई मान्यता प्राप्त करने के लिए पिछले काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं। पूर्व सरकार में भी स्कूलों को एक-एक वर्ष की मान्यता देकर टरकाते रहे और स्थाई मान्यता देने का खोखला आश्वासन मिलता रहा। वहीं भाजपा के सत्ता में आने के बाद स्कूल संचालकों को स्थाई मान्यता मिलने की उम्मीद थी, लेकिन वह उम्मीद भी टूटती नजर आ रही है। शिक्षा निदेशालय के आदेशों से जाहिर है कि भाजपा सरकार भी गैर मान्यता प्राप्त व अराजकीय स्कूलों को स्थाई मान्यता नहीं देना चाहती। शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी हुए जारी हुए आदेशों से स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग इन स्कूलों को बंद करना चाहती है। आदेशों में स्पष्ट कहा गया है कि जो स्कूल दिए गए मापदंड पूरे नहीं करते, उसे नए सत्र से बंद कर दिया। ऐसे में सभी स्कूलों पर बंद होने की तलवार लटक गई है क्योंकि किसी भी स्कूल में अभी तक मापदंडों को पूरा नहीं किया गया है।
कई बार हो चुके हैं धरने-प्रदर्शन
मान्यता को लेकर निजी स्कूल संचालक कई बार धरने-प्रदर्शन कर चुके हैं। पूर्व सरकार के राज में भी हजारों निजी स्कूल संचालकों ने धरना प्रदर्शन किया था। कई दिन तक क्रमिक अनशन भी किया गया था, लेकिन पूर्व सरकार भी स्थाई मान्यता नहीं दे पाई। भाजपा सरकार के राज में भी कई बार प्रदर्शन किए जा चुके हैं और मुख्यमंत्री से वार्ता भी की गई है, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। पिछले दिनों शिक्षा निदेशालय के अधिकारी व मुख्यमंत्री के साथ आमने-सामने बात हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री ने भूमि की शर्त को हटाते हुए मान्यता देने व नोटिफिकेशन जारी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन वह भी महज कोरा आश्वासन ही रहा।
दोहरी नीति अपना रही भाजपा सरकार : कुंडू
प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू का कहना है कि भाजपा सरकार गैर मान्यता प्राप्त व अराजकीय स्कूल संचालकों के साथ दोहरी नीति अपना रही है। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री स्थाई मान्यता के लिए आश्वासन दे रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार की शह पर शिक्षा निदेशालय आदेश जारी कर रही है कि सभी स्कूलों की दोबारा जांच की जाए और जो स्कूल मापदंड पूरे न करता हो, उसे नए सत्र से बंद कर दिया जाए। ऐसे में लाखों बच्चों का भविष्य भी दांव पर है और स्टाफ को बेरोजगार करने का प्रयास किया जा रहा है। इन आदेशों को रद करवाने के लिए वह जल्द मुख्यमंत्री से मिलेंगे और इन आदेशों को वापस लेने की मांग करेंगे।