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धूमधाम से मनाया गुरु प्रकाशोत्सव, रागी जत्थों ने किया मंत्रमुग्ध

जागरण संवाददाता, रोहतक : पहली पातशाही साहिब गुरु नानक देव का आगमन दिवस बुधवार को गुरुद्वारा बंगला

By Edited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 07:20 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 07:20 PM (IST)
धूमधाम से मनाया गुरु प्रकाशोत्सव, रागी जत्थों ने किया मंत्रमुग्ध

जागरण संवाददाता, रोहतक : पहली पातशाही साहिब गुरु नानक देव का आगमन दिवस बुधवार को गुरुद्वारा बंगला साहिब में धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों से आए रागी जत्थों ने अपनी मधुर आवाज में शबद-कीर्तन कर संगत को निहाल किया। इस मौके पर विभिन्न स्थानों से आए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और लंगर छका।

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गुरुद्वारा बंगला साहिब से प्रधान सरदार अवतार ¨सह कोचर डोली ने बताया कि गुरु नानक देव का आगमन भोए की तलवडी में पिता महता कालु व माता तृप्ता के घर 1469 ईस्वी में हुआ, जो आज सिख परंपरा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। उनका बचपन आध्यात्मिक रंग में रंगा हुआ था। पिता महता कालु खेती व व्यापार करते थे। पिता की इच्छा थी कि पुत्र उनका खानदानी काम संभाले, इसलिए उन्होंने गुरु नानक देव को गोपाल पंडित के पास भाषा, पंडित बृजलाल के पास संस्कृति व मोलवी कुतुबद्दीन के पास फारसी पढ़ने के लिए भेज दिया। गुरु की आध्यात्मिक प्रवृति के आगे गुरुजन भी प्रभावित हुए। पिता ने उन्हें बहन नानकी और बहनोई के पास सुलतानपुर भेज दिया, जहां उन्हें नवाब के मोदी खाने में नौकरी मिल गई।

गुरु नानक पूरे कर्तव्य निष्ठा भाव से सामान बेचते व जरूरतमंदों को मुफ्त सामान दे देते। वहां कुछ ईष्यालु भी थे जिन्होंने नवाब दौलत खां से शिकायत कर दी। लेकिन नवाब के कहने पर जब उन्हें बुलाया गया तो सब कुछ दुरुस्त निकला। उन्होंने बताया कि गुरु नानक ने मोदी खाने में नौकरी के बाद लोक कल्याण के लिए चार उदासी यात्राएं की। 1499 में शुरू हुई इन यात्राओं में भाई मरदाना साथ थे। 1522 इस्वी उदासिया समाप्त करके उन्होंने करतार पुत्र साहिब को अपना निवास स्थान बनाया, जहां वह खेती करने लगे। 1532 इस्वी में भाई लहिणा उन्हें मिले। करीब सात वर्ष बाद गुरु नानक देव की सेवा करने के बाद भाई लहिणा उत्तराधिकारी के रूप में गुर गद्दी पर विराजे। 1539 इस्वी में गुरु नानक ज्योति जोत समा गए।

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गुरु पर्व पर संगत ने छका लंगर

गुरुद्वारा बंगला साहिब में गुरु नानक देव के प्रकाश उत्सव पर विशाल लंगर लगाया गया। विभिन्न स्थानों से आए श्रद्धालुओं ने लंगर का आनंद लिया। लंगर छकने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखने को मिली। गुरु पर्व का प्रसाद ग्रहण करने के लिए श्रद्धालुओं में गजब का जोश व जुनून देखने को मिला।

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रागी जत्थों ने किया मंत्रमुग्ध

गुरु पर्व पर विभिन्न स्थानों से आए हजुरी रागी जत्थों ने संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने शब्दवाणी के माध्यम से संगत पर ऐसा जादू किया कि हर कोई गुरु नानक के बारे में जानने के लिए उत्सुक दिखाई दिया।


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