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'जल स्त्रोत हो रहे लुप्त, पानी को तरसेंगे'

दीपक कुमार, रोहतक देश में जिस तरह से जल स्त्रोत लुप्त होते जा रहे हैं, उससे जल्द ही पानी का संकट

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 06:00 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 06:00 PM (IST)
'जल स्त्रोत हो रहे लुप्त, पानी को तरसेंगे'

दीपक कुमार, रोहतक

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देश में जिस तरह से जल स्त्रोत लुप्त होते जा रहे हैं, उससे जल्द ही पानी का संकट लोगों के सामने खड़ा हो सकता है। अगर इसको लेकर सामूहिक प्रयास नहीं किए गए तो भविष्य में पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ेगा। सरकार जल संरक्षण के लिए प्रयास कर रही है, वहीं आमजन को भी पानी के महत्व को समझना होगा। यह कहना है जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग के कार्यकारी अभियंता टीआर पंवार का। उन्होंने दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में यह बताया।

उन्होंने कहा कि जिले में पेयजल का पहले ही संकट है, देखा जाए तो जिले में मात्र 25 से 30 प्रतिशत क्षेत्र में भूमिगत जल उपयुक्त है। इस क्षेत्र में भी धीरे-धीरे नमक की मात्रा तेजी से बढ़ती जा रही है। जल संरक्षण के लिए जहां सरकार को ठोस कदम उठाने की जरुरत है, वहीं आमजन को भी इसको लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ेगी। जल का अत्यधिक दोहन भविष्य में संकट खड़ा कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए ¨सचाई की विधि में बदलाव के साथ-साथ कम ¨सचाई वाली फसल उगाने की जरुरत है। भूमि गत जल रिचार्ज और रेन वाटर हारवे¨स्टग सिस्टम भी जल संरक्षण के लिए कारगर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिले में मात्र पांच गांव ही ऐसे हैं, जहां भूमिगत जल स्तर नीचे है, अन्यथा सभी जगह भूमिगत जल स्तर ऊपर है। जहां भूमिगत जल स्तर ऊपर है, वहां पीने योग्य पानी नहीं हो सकता, क्योंकि नमक की मात्रा अधिक होती है। उन्होंने बताया कि पांच गांव खिड़वाली, टिटौली, सांघी, ¨जदरान, चमारिया गांव में वाटर रिचार्ज सिस्टम लगाए गए है, जिससे भूमिगत जल रिचार्ज किया जा रहा है। वाटर रिचार्ज के लिए तालाब या टैंक बनाकर बो¨रग से बारिश के पानी को ग्राउंड में रिचार्ज किया जाता है। इससे वाटर रिचार्ज हो जाता है, जिससे पानी को पीने या ¨सचाई योग्य बनाया जा सकता है।

व्यर्थ पानी बहाने पर लगाया जाएगा अंकुश

उन्होंने बताया कि जल संरक्षण लिए विभाग ने नलों से व्यर्थ पानी बहाने पर अंकुश लगाने के लिए मोहल्ला स्तर पर आमजन की कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है ताकि अवैध कनेक्शनों से व्यर्थ बहने वाले पानी को रोका जा सके। वहीं, लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को पेयजल की महता को समझना होगा, तभी इस घोर संकट से निजात मिल सकती है।

विभाग अपने सतर पर कर रहा प्रयास

उन्होंने बताया कि जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग अपने स्तर पर जल संरक्षण को लेकर कार्य रहा है। इसके साथ ही विभाग की टीम लोगों को जागरूक करने में भी लगी हुई है। प्रशासन की नाटक मंडली के साथ मिलकर नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण व पेयजल के महत्व के बारे में जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले महीने भर से शहर में डोर-टू-डोर अभियान चलाया हुआ है जिसमें अवैध कनेक्शन काटे जा रहे हैं और लोगों को नए कनेक्शन मौके पर ही दिए जा रहे है।

ऐसे हो सकता है जल संरक्षण

- पेयजल से पशुओं को नहलाने पर रोक

- पेयजल से वाहनों के धोने पर प्रतिबंध

- व्यर्थ पेयजल बहाने पर अंकुश

- अवैध कनेक्शन हटाए जाए

- जरुरत से अधिक पानी का इस्तेमाल न किया जाए

- कम ¨सचाई की फसल उगाई जाएं

- ¨सचाई के लिए जमीन का लेवल ठीक होना चाहिए

- ¨सचाई में फव्वारा प्रणाली का इस्तेमाल किया जाए

- जमीन की बिना बहाई फसल की जोत करनी चाहिए


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