इमरजेंसी के बंदियों पर फिर'मनोहर नजर'
जेपी शर्मा, रोहतक आपातकाल के क्रांतिकारियों पर एक बार फिर सरकार की मनोहर नजर पड़ती दिखाई दे रही है
जेपी शर्मा, रोहतक
आपातकाल के क्रांतिकारियों पर एक बार फिर सरकार की मनोहर नजर पड़ती दिखाई दे रही है। पुलिस महानिदेशक कार्यालय से प्रदेश की जेलों में आपातकाल के दौरान जेल काटने वाले क्रांतिकारियों की सूची तलब की गई है। रोहतक जेल से भी 110 आपातकालीन बंदियों की सूची भेजी गई है। इनमें चौ. देवीलाल, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मंगलसेन, बीजू पटनायक और डॉ. मंगलसेन के नाम भी शामिल हैं। इससे पहले गणतंत्र दिवस पर प्रदेश सरकार आपातकाल के बंदियों को सम्मानित कर चुकी है।
आपातकाल के दौरान हुए आंदोलन में भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस के साथ कांग्रेस विरोध पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। आंदोलन कर रहे कार्यकर्ताओं को उस दौरान पुलिस उत्पीडऩ का सामना करना पड़ा था। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारियां कर जेल भेज दिया था। रोहतक की पुरानी जेल में उस दौरान 110 क्रांतिकारियों को बंद रखा गया था। सभी क्रांतिकारियों को जेल की बी-क्लास बैरक में रखा गया था। इनमें से कई क्रांतिकारी अब दुनिया छोड़ चुके हैं, लेकिन कई अभी जीवित हैं। इनमें से कई क्रांतिकारियों व उनके परिजनों को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गणतंत्र दिवस के मौके पर सम्मानित किया जा चुका है। अब एक बार फिर पुलिस महानिदेशक कार्यालय से पत्र भेजकर हरियाणा की सभी जेलों से वहां आपातकाल के दौरान बंद रहे आंदोलनकारियों की सूची मांगी है। इससे आशंका जताई जा रही है कि प्रदेश सरकार एक बार फिर आपातकाल के क्रांतिकारियों व उनके परिजनों को सम्मान देगी या फिर उनके लिए कोई विशेष घोषणा भी की जा सकती है।
ये हस्तियां रहीं थी जेल में बंद
क्रांतिकारियों को आपातकाल के दौरान 1975 में बंद किया गया था उनमें मुख्य रूप से लालकृष्ण आडवाणी, चौ. देवीलाल, बीजू पटनायक, सिकंदर बक्त, डॉ. मंगल सेन, स्वामी इंद्रवेश, हरिद्वारी लाल, मधु दंडवते, मनोहर लाल सैनी, बिल्लू मोदी आदि शामिल थे।
मीसा के अंतर्गत की थी कार्रवाई
जेल के पुराने रिकार्ड के मुताबिक डॉ. मंगलसेन को 26 जून 1975 को रोहतक जेल में बंद किया गया था और 9 जुलाई 1975 को करनाल जेल भेज दिया गया थ। वहीं चौधरी देवीलाल को दो बार रोहतक जेल लाया गया था। उस समय रोहतक जेल में बतौर जेलर सरदार त्रिलोकचंद मान तैनात थे। क्रांतिकारियों के खिलाफ धारा X (1)(ए)(11) मीसा- 1971 एक्ट के अंतर्गत केस दर्ज किया गया था। सूत्रों से यह भी पता लगा है कि इन क्रांतिकारियों को जेल का मुख्यद्वार बंद करने के बाद बैरक से बाहर खुला छोड़ दिया जाता था तथा इनके लिए सरकार आदेश पर इनकी बैरक में टीवी भी मुहैया करवाया गया था।
वर्जन --
रोहतक जेल के रिकार्ड के मुताबिक 110 आंदोलनकारी जेल में बंद रहे थे। उनकी सूची डीजीपी कार्यालय को भेजी जा रही है। सूची किस उद्देश्य से मंगाई गई है। इसकी उन्हें जानकारी नहीं है।
दयानंद मंडौला, जेल अधीक्षक सुनारिया
----------
जेपी शर्मा