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अलग हो उच्च न्यायालय

- दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में उच्च न्यायालय की बेंच स्थापित करने का भी सुझाव दिया फोटो संख्या - 1

By Edited By: Published: Sun, 24 May 2015 02:33 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2015 04:33 AM (IST)
अलग हो उच्च न्यायालय

- दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में उच्च न्यायालय की बेंच स्थापित करने का भी सुझाव दिया

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फोटो संख्या - 1

जागरण संवाददाता, रोहतक :

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य के लिए अलग उच्च न्यायालय बनाने की वकालत की है। अलग उच्च न्यायालय बन जाने से हरियाणा की जनता को काफी सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में उच्च न्यायालय की बेंच स्थापित करने का सुझाव भी दिया। मुख्यमंत्री शनिवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के टैगोर आडिटोरियम में हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा स्टूडेंट्स लीगल लिटरेसी मिशन के वार्षिक समारोह में उपस्थित लोगों को सबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि हरियाणा में लगभग एक लाख 40 हजार तथा पंजाब में एक लाख 25 हजार मामले अदालतों में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में सेशन डिवीजन की संख्या 21 है जबकि पंजाब में यह संख्या 19 है। उन्होंने कहा कि हरियाणा हर दृष्टि से पंजाब से आगे है, लेकिन जजों की नियुक्ति के मामले में हरियाणा व पंजाब का अनुपात क्रमश: 40 व 60 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह अनुपात 50-50 का होना चाहिए।

सुनवाई का हो दूरदर्शन पर प्रसारण

उन्होंने ने कहा कि जिस प्रकार से संसद व राज्य विधानसा की कार्यवाहियों का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण किया जाता है, उसी प्रकार से सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय में होने वाली विभिन्न मामलों की सुनवाई का भी सीधा प्रसारण होगा तो यह जनता के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दी भाषी क्षेत्रों में न्यायालय की कार्यवाही ¨हदी भाषा में तथा दूसरे क्षेत्रों में वहां की क्षेत्रीय भाषा में न्यायालय की कार्यवाही होनी चाहिए।

मनोहर लाल ने कहा कि उन्हें इस बात का बेहद हर्ष है कि पिछले दिनों आयोजित सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की मी¨टग में न्यायालयों की ढांचागत सुविधाओं के मामले में हरियाणा की सराहना की गई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस वर्ष भी न्यायालयों की ढांचागत सुविधाओं का विस्तार करने के लिए 80 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी 21 जिलों व 14 उपमंडलों में मध्यस्थता केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां पर न्यायालय में जाए बिना आपसी सहमति से विवादों का निपटारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 21 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रही हैं, जहां पर वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों व महिलाओं से संबंधित मामलों का अति शीघ्र निपटारा होता है।


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