न कम्युनिटी सेंटर बना, न तालाब का विकास
जागरण संवाददाता, रोहतक : माता दरवाजा स्थित शीतला माता मंदिर के तालाब में विकास कार्य करवाने व कम्युन
जागरण संवाददाता, रोहतक : माता दरवाजा स्थित शीतला माता मंदिर के तालाब में विकास कार्य करवाने व कम्युनिटी सेंटर बनाने की योजना अधर में लटक गई है। नगर निगम ने बजट की कमी दिखाकर तालाब के विकास कार्य को रोका गया है जिसके कारण तालाब के हालत बद से बदतर हो गए हैं। लोगों ने अपने पशु तालाब के साथ बांधने शुरू कर दिए हैं जिससे तालाब के अंदर से बदबू आ रही है। लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके तालाब को अगर जल्द ही बचाया नहीं गया तो श्रद्धालुओं की आस्था को भारी ठेस पहुंचेगी।
शीतला माता मंदिर भक्तों की अगाध श्रद्धा का प्रतीक है। सैकड़ों वर्षों से हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं। मंदिर के साथ लगते तालाब में भी भक्तों की श्रद्धा है। मान्यता है कि यहां से मिट्टी छाटने से माता प्रसन्न होती हैं, लेकिन तालाब में गंदगी फैलने के कारण यहां से बदबू आनी शुरू हो गई है। लोगों ने अपने पशु तालाब के साथ बांधने शुरू कर दिए हैं। करीब दो साल पहले तालाब की चारदिवारी भी करवाई गई, लेकिन विकास नहीं हो सका। नगर निगम बनने के करीब छह माह बाद तालाब के आधे हिस्से में कम्युनिटी सेंटर व आधे हिस्से में तालाब का विकास करने की योजना बनाई गई थी। इस योजना के लिए बजट तक तैयार किया जा चुका था और ग्रांट भी मंजूर हो चुकी थी, लेकिन फंड न होने का रोना रोकर निगम ने योजना को अधर में लटका दिया है।
श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी : थानेश्वर दास
शीतला माता मंदिर के महंत थानेश्वर दास ने बताया कि तालाब का विकास कार्य न होने के कारण श्रद्धालुओं को भारी परेशानी हो रही है। मिट्टी छांटने के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं के हाथ गंदगी लगती है जिसके कारण वह कई बार शिकायत भी कर चुके हैं। बजट न होने की बात कहकर विकास कार्य को रोका गया है। तालाब में गंदगी भरी होने के कारण भक्तों की आस्था को भी ठेस पहुंच रही है।
कई बार कर चुके हैं शिकायत, हर बार बजट की दर्शाते हैं कमी : पार्षद
वार्ड तीन की पार्षद सुशीला इंदौरा का कहना है कि तालाब के विकास व कम्युनिटी सेंटर बनवाने के लिए सालभर पहले करीब डेढ़ करोड़ रुपये की ग्रांट मंजूर की गई थी, लेकिन फंड न होने की बात कहकर प्रोजेक्ट को अधर में लटका दिया गया। उन्होंने कहा कि वह निगम की बैठक में भी इस मुद्दे को उठा चुकी हैं लेकिन हर बार बजट न होने का ही बहाना बनाया जाता है।