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न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग को लेकर सीटू ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

जागरण संवाददाता, रोहतक : सीआइटीयू ने न्यूनतम वेतन लागू करने में हो रही देरी पर ¨चता जाहिर करते हुए प

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 08:14 PM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 08:14 PM (IST)
न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग को लेकर सीटू ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

जागरण संवाददाता, रोहतक : सीआइटीयू ने न्यूनतम वेतन लागू करने में हो रही देरी पर ¨चता जाहिर करते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि न्यूनतम वेतन को जल्द से जल्द लागू किया जाए। इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया तो वह आंदोलन करने पर विवश हो जाएंगे जिसकी जिम्मेदारी स्वयं सरकार की होगी।

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सीटू के प्रदेश महासचिव सतबीर ¨सह व प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र मलिक ने बताया कि न्यूनतम वेतन पुनर्निर्धारण के पक्ष पर पिछली राज्य सरकार ने जानबूझ कर देरी की थी। कानूनन प्रदेश में जुलाई 2012 तक न्यूनतम वेतन का पुनर्निर्धारण हो जाना चाहिए था। कानून की अवेहलना एवं उल्लंघना करते हुए पूर्व सरकार ने यह आपराधिक कृत्य करते हुए नियोक्ताओं के पक्ष में श्रमिकों के अधिकारों का हनन किया था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने पहले 10 नवंबर 2013 को 8100 रुपये न्यूनतम वेतन की घोषणा की थी, जिसे एक जनवरी 2014 से लागू होना था। बाद में राज्य सरकार अपनी घोषणा से मुकर गई। तमाम ट्रेड यूनियनों में इस बात के लिए आम सहमति है व मांग करती है कि राज्य में न्यूनतम वेतन 15000 रुपये प्रति महीना होना चाहिए। यह मांग न्यायोचित है क्योंकि न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशें आदि के आधार पर तथा राज्य सरकार द्वारा उपरोक्त आधारों पर स्वीकृत मापदंडों के अनुसार गणना करते हुए राज्य में न्यूनतम वेतन 15 हजार रुपये मासिक बनता है। इस संदर्भ में वेतन सलाहकार बोर्ड में तमाम श्रमिक प्रतिनिधियों ने एकमत से मानदंडो पर आधारित प्रस्ताव दिया था। उन्होंने सरकार द्वारा गठित वेतन सलाहकार बोर्ड की बैठक होने व तमाम प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद सरकार द्वारा 14 अगस्त 2014 को राज्य में श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन की घोषणा की गई व नोटिफिकेशन जारी हुआ, जिसे एक नवंबर से लागू किया जाना था, लेकिन दो महीने गुजर जाने के बावजूद न्यूनतम की दिशा में जरूरी कदम नहीं उठाए जा रहे। इससे राज्य में कार्यरत लाखों मजदूरों को भारी आर्थिक हानि हो रही है। हर चीज में महंगाई है उसके चलते जीवन-यापन चलाना बेहद कठिन हो रहा है।


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