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एंकर : सुनारिया जेल में 70 प्रतिशत विचाराधीन बंदी

By Edited By: Published: Sun, 07 Sep 2014 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 07 Sep 2014 07:48 PM (IST)
एंकर : सुनारिया जेल में 70 प्रतिशत विचाराधीन बंदी

जागरण संवाददाता, रोहतक : सुप्रीम कोर्ट ने आरोपित अपराध की आधी सजा काट चुके बंदियों की रिहाई का आदेश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश का सुनारिया जेल के भी दर्जनों ऐसे बंदियों को लाभ मिल सकता है, जो आर्थिक कमजोरी के चलते जमानत नहीं करा पाए हैं या फिर धीमी न्यायिक प्रक्रिया के चलते लंबे समय से बिना फैसले के 'सजा' काट रहे हैं।

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सुनारिया जेल में देश के कुल प्रतिशत से अधिक है तादात

सुनारिया जेल में वर्तमान में कुल विचाराधीन और सजायाफ्ता बंदियों की संख्या लगभग 1400 है। इनमें 950 से अधिक विचाराधीन बंदी हैं। यानी यहां लगभग 70 फीसद हैं जबकि देश भर की जेलों में विचाराधीन बंदियों की संख्या लगभग 60 प्रतिशत है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसी आंकड़े को देखकर चिंता प्रकट की। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बंद ऐसे विचाराधीन बंदी जो जिस अपराध में आरोपित हैं, उसमें होने वाली अधिकतम सजा से आधी अवधि जेल में रहकर गुजार चुके हैं को चिहिन्त कर रिहाई का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्थानीय अदालतों को एक अक्तूबर से जेलों का दौरा कर ऐसे बंदियों की सूची तैयार करने का रिहाई का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश की खास बात यह है कि बंदियों की रिहाई में किसी अधिवक्ता की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। न्यायाधीश अपने स्तर पर इन्हें चिहिन्त कर रिहाई का आदेश करेंगे।

कम होगा कोर्ट और जेल का बोझ

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ना केवल गरीब बंदियों को रिहा होने का मौका मिलेगा, बल्कि कोर्ट और जेलों से भी बोझ कम होगा। वर्तमान में स्थिति यह है कि अधिकांश जेलों में निर्धारित से अधिक बंदियों की संख्या है। वहीं कोर्ट में भी मुकदमों की भरमार होने के कारण सुनवाई में देरी होती है। कोर्ट के आदेश से मुकदमों और बंदियों की संख्या में कमी आएगी।


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