पीजीआइएमएस के क्लर्को का दूसरे दिन भी बवाल
जागरण संवाददाता, रोहतक :
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के क्लर्को ने वरिष्ठता नीति में संशोधन के विरोध में दूसरे दिन भी जमकर बवाल काटा। प्रदर्शनकारियों ने निदेशक, एमएस और कुलपति कार्यालय के बाहर जमकर नारेबाजी करते हुए नीति में लिए गए निर्णय को वापस लेने की मांग की। कुलपति ने प्रदर्शनकारी क्लर्को को उचित आश्वासन दिया। इसके बाद क्लर्क हड़ताल समाप्त करके काम पर लौट आए।
प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी : स्वास्थ्य विश्वविद्यालय में विगत 14 जुलाई को कार्यकारी परिषद की मीटिंग में क्लर्क, स्टेनो और डाटा एंट्री ऑपरेटर को एक ही वरिष्ठता नीति में शामिल करते हुए प्रस्ताव पारित कर दिया था। इस प्रस्ताव के विरोध में विश्वविद्यालय के क्लर्क विरोध में खड़े हो गए और बुधवार को हड़ताल कर दी। बृहस्पतिवार को भी क्लर्क सुबह निदेशक कार्यालय के बाहर एकत्रित हुए और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। काफी देर तक हंगामा करने के बाद प्रदर्शनकारी एमएस कार्यालय होते हुए कुलपति कार्यालय पहुंचे। यहां पर प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी। प्रदर्शनकारियों की मांग पर कुलपति डॉ. एसएस सांगवान उनके बीच पहुंचे और उचित आश्वासन दिया। कुलपति के आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारी क्लर्को ने हड़ताल को खत्म करने के लिए काम पर लौटने का निर्णय लिया। दोपहर दो बजे के बाद सभी क्लर्क अपने-अपने कार्यालयों में पहुंच गए थे। इसके बाद ही विवि प्रशासन ने राहत की सांस ली और दो दिन से बिगड़ी व्यवस्था पटरी पर लौटी।
आमजन को उठानी पड़ी दिक्कतें : विश्वविद्यालय के सभी कार्यालयों में क्लर्को के हड़ताल पर जाने के बाद कामकाज ठप हो गया। सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना तो विभिन्न कोर्सो के लिए प्रोस्पेक्टस लेने पहुंचे लोगों को करना पड़ा। क्लर्को के हड़ताल पर जाने के कारण लोगों को प्रोस्पेक्टस नहीं मिल सके और उनको बैरंग ही लौटना पड़ा।
कच्चे कर्मचारी भी उतरे विरोध में : उधर, पीजीआइएमएस के कच्चे कर्मचारियों ने स्थायी करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने निदेशक कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों का कहना था कि लंबे समय से नौकरी स्थाई करने की मांग की जा रही है, लेकिन प्रबंधन गंभीर नहीं है। इससे पहले भी कई बार विरोध प्रदर्शन किया गया, लेकिन हर बार आश्वासन देकर शांत कर दिया जाता। लेकिन अब कर्मचारी शांत नहीं बैठेंगे।