जीएसटी से घबराएं नहीं, उसे व्यवहार में लाएं
एक जुलाई से लागू होने जा रहे गुड्स एवं सर्विस टैक्स को लेकर व्यापारियों में काफी शंका बनी हुई है।
एक जुलाई से लागू होने जा रहे गुड्स एवं सर्विस टैक्स को लेकर व्यापारियों में काफी शंका बनी हुई है। एक तरफ जहां कपड़ा व्यापारी तीन दिन की हड़ताल कर चुके हैं, वहीं बाजारों में भी इसके लागू होने पर पड़ने वाले असर को लेकर तरह-तरह के कयास लगा जा रहे हैं। सरकार के दावों के मुताबिक जीएसटी सभी टैक्स को समाप्त करके एकीकृत टैक्स व्यवस्था नया रूप है, जिससे व्यापारियों को किसी भी कार्यालय में चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है और पूरा सिस्टम ऑनलाइन है। शिकायत की ऑनलाइन व्यवस्था है और जिन व्यापारियों का 75 लाख रुपये तक सालाना टर्न ओवर है वे लमसम तिमाही टैक्स जमा करा सकते हैं। जिले में भी इन शंकाओं के बीच व्यापारियों ने जागरूकता भी दिखाई है और जिले के लगभग 7700 व्यापारियों में से 5600 व्यापारी जीएसटी के लिए अपना पंजीकरण करा चुके हैं। अभी भी जीएसटी पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन जारी है। व्यापारियों की इन शंकाओं के समाधान के लिए दैनिक जागरण के संवाददाता मनीष कुमार ने आबकारी कराधान विभाग की उप आयुक्त अरूणा ¨सह से विस्तृत बातचीत की।
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प्रश्न: जीएसटी को लेकर व्यापारियों में शंका बनी हुई है, अभी तक ऐसा क्यों
उत्तर- जीएसटी को कोई अचानक लागू नहीं किया जा रहा है अपितु विभाग की तरफ से पिछले दो साल से इसके लिए तैयारी की जा रही है। व्यापारियों को इसके संदर्भ में पूरी जानकारी देने के लिए हमने हर स्तर के व्यापारियों एवं उद्यमियों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया है। जिला के व्यापारियों ने जीएसटी में माइग्रेशन तथा पंजीकरण को लेकर काफी जागरूकता दिखाई है। जिला के 7700 व्यापारियों में 5600 व्यापारी अपना जीएसटी नंबर ले चुके हैं यानि 75 फीसद व्यापारी इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। व्यापारियों की शंका के समाधान के लिए हमने अपने कार्यालय में एक हेल्प डेस्क भी स्थापित की हुई है। जिसमें एक ईटीओ एवं दो निरीक्षक व्यापारी की सभी समस्याओं का समाधान करेंगे। जिन व्यापारियों ने वैट से जीएसटी में माइग्रेशन नहीं कराया है, वे ऑनलाइन माइग्रेशन करा सकते हैं और 25 जून से पोर्टल पर यह सुविधा प्रारंभ की जा चुकी है।
प्रश्न: जीएसटी पंजीकरण में कितनी टर्न ओवर वाले व्यापारी को छूट है?
उत्तर: 20 लाख टर्न ओवर वाले व्यापारियों को जीएसटी के लिए पंजीकरण की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि यह स्वैच्छिक है और ऐसे व्यापारी भी चाहे तो जीएसटी के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। वहीं, 75 लाख रुपये टर्न ओवर देने वाले व्यापारियों को भी इसमें राहत दी गई है, वे लमसम आधार पर टैक्स अदा कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें हर माह रिटर्न दाखिल करने की बजाय तिमाही रिटर्न दाखिल करनी होगा। इससे बड़ी सहूलियत कुछ नहीं हो सकती है, क्योंकि 75 लाख टर्न ओवर वाले व्यापार में काफी हद तक व्यापारी आ जाएंगे। 20 लाख रुपये तक व्यापार करने वाले व्यापारियों को किसी भी तरह ¨चता करने की जरूरत नहीं है।
प्रश्न: व्यापारियों को साल में कितनी रिटर्न दाखिल करनी होगी
उत्तर: जीएसटी में व्यापारियों को पूरे साल में 37 साल रिटर्न दाखिल करनी होगी, जो कि ऑटो पोपुलेटिड है। एक बार जानकारी भरने के बाद कंप्यूटर स्वत: ही जानकारी फीड कर लेगा। केवल पहले महीने की रिटर्न दाखिल ही महत्वपूर्ण है, बाकि रिटर्न में व्यापारियों को अपनी आय-व्यय तथा खर्च का ब्यौरा देना होगा। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। व्यापारी अपने घर अथवा दुकान में बैठकर खुद ही यह कार्य कर सकता है। माह की 10 तारीख उसे बिक्री से संबंधित जीएसटी-आर-1 रिटर्न भरनी होगी। 15 तारीख तक खरीद से संबंधित तथा 20 तारीख तक दोनों के विवरण के आधार मासिक रिटर्न दाखिल करनी होगा। एक बार भरने के बाद कंप्यूटर खुद ही कैलकुलेशन कर लेगा।
प्रश्न: व्यापारी को अपना स्टॉक कब तक क्लीयर करना होगा तथा टैक्स क्रेडिट कैसे होगा
उत्तर: हां, स्टॉक को लेकर व्यापारियों में अवश्य शंका है, लेकिन मैं बताना चाहूंगी कि व्यापारियों के लिए स्टॉक क्लीयर करने की कोई समय सीमा नहीं है। उन्हें टैक्स क्रेडिट जीएसटी लागू होने से एक साल पहले तक दिया जाएगा। उसमें भी अपनी इनवोइस संबंधित दस्तावेज के अलावा वैट तथा सेंट्रल टैक्स से संबंधित दस्तावेज के आधार पर क्रेडिट ले सकता है। इससे संबंधित पुख्ता सुबूत नहीं होने पर क्रेडिट नहीं होगा। एक जुलाई के बाद वह जीएसटी का टैक्स लगाकर सामान बिक्री कर सकता है।
प्रश्न. जीएसटी के विरोध में कपड़ा व्यापारी हड़ताल पर इससे कितना असर होगा?
उत्तर: यही सबसे बड़ी विडंबना है, किसी चीज का बिना सोचे-समझे ही विरोध करने लग जाते हैं। कपड़ा व्यापारियों की हड़ताल भी कुछ इसी तरह है। कपड़े पर वैट नहीं था लेकिन केंद्रीय उत्पादन पर ही लगाया हुआ था। अब जीएसटी में 17 टैक्सों को समाप्त करके एक कर लगा दिया है, जो कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क के बराबर है। ऐसे में जीएसटी लगने के बाद तो कपड़ा महंगा नहीं अपितु सस्ता होगा। बाजार में जीएसटी का फायदा आने वाले तीन-चार माह में साफ नजर आएगा, जब एकीकृत टैक्स व्यवस्था से महंगाई कम होगी।
प्रश्न: ब्रांडेड वस्तुओं का पैमाना क्या होगा और ग्राहक को जानकारी कैसे मिलेगी?
उत्तर: जीएसटी में कुछ उत्पादों को छोड़कर सब स्थिति पूरी तरह से क्लीयर की जा चुकी है। रजिस्टर्ड फर्म के उत्पाद को ब्रांडेड माना जाएगा और सामान्य तौर पर किसी नाम से आने वाले उत्पाद का रजिस्टर्ड नंबर नहीं है तो सामान गैर ब्रांडेड माना जाएगा। जीएसटी को लेकर व्यापारियों को किसी भी तरह घबराने की जरूरत नहीं है और यह व्यवस्था पूरी तरह से आनलाइन है, जिसमें किसी भी तरह अधिकारियों का दखल नहीं है।