थाली से गायब नहीं होगी दाल
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी प्रदेश सरकार ने तिलहन के साथ-साथ दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी पहल शु
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी
प्रदेश सरकार ने तिलहन के साथ-साथ दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी पहल शुरू की है। तीन जगहों पर सीड हब विकसित करने के बाद प्रदेश में कुछ नए स्थानों की तलाश शुरू हुई है। दाल उत्पादन घटने का बड़ा कारण उन्नत बीजों की कमी थी। इसी कमी को पूरा करने के लिए उच्च स्तर पर सीड हब विकसित करने के प्रयास शुरू हुए हैं।
केंद्र सरकार की पहल पर राज्य सरकार के प्रयास से खेती से जुड़ी सभी संस्थाओं का जोर दलहन उत्पादन पर है। भिवानी कृषि विज्ञान केंद्र, हिसार विश्वविद्यालय के जेनेटिक एंड प्लांट बी¨डग डिपार्टमेंट से संबद्ध प्लसेज सेक्सन व सिरसा कृषि विज्ञान केंद्र में सीड हब बन चुके हैं। इन प्रस्तावों को गत वर्ष भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने स्वीकृति दी थी। कम से कम दो नए सीड हब जल्दी ही बनाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री खुद दलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। कृषि मंत्री ओपी धनखड़ का दावा है कि मंगलवार को केबिनेट की बैठक में लिया गया। सूरजमुखी की पचास फीसद सरकारी खरीद करने का फैसला मनोहर सरकार की किसान हितैषी सोच का परिणाम है। इस वर्ष देश में गत वर्ष के 170 लाख टन के मुकाबले 240 लाख टन दाल उत्पादन का अनुमान है। खाद्यान्न में अव्वल रहने वाले हरियाणा की दालों में भागीदारी बेहद कम रही है। वर्ष 2015 में हरियाणा में सिर्फ 54 हजार 500 टन दालों का उत्पादन हुआ था। हालांकि इस वर्ष उत्पादन बढ़ने का अनुमान है, लेकिन अतीत में झांककर देखें तो हम बहुत दूर हैं।
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चार दशक पहले दालों में दमदार थे हम
वर्ष 1975-76 में हरियाणा में 9 लाख 52 हजार टन दालों की पैदावार हुई थी। बाद में गेहूं का रकबा बढ़ता गया और दाल गायब होती गई। अब बड़ी पहल हुई है। हरियाणा में चना ही नहीं मूंग, अरहर व उड़द तथा दाना मटर का उत्पादन भी बढ़ेगा। बावल क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र ने पांच वर्ष के प्रयास के बाद दाना मटर के बीज उपलब्ध करवाने शुरू कर दिए हैं।
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दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए हमने कई जगह सीड हब विकसित कर लिए हैं। कुछ नई जगहों की संभावना तलाशी जा रही है। हम दलहन के साथ-साथ तिलहन पर भी जोर दे रहे हैं। विविधिकरण ही किसानों की आय बढ़ाने का सबसे बेहतर उपाय है।
-ओपी धनखड़, कृषि मंत्री
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