कार्यशाला में किया अहीरवाल की लोक कलाओं का प्रतिनिधित्व
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: हरियाणा कला परिषद के तत्वावधान में भूमि एवं भित्ति चित्रण विषय पर कुरुक्षेत
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: हरियाणा कला परिषद के तत्वावधान में भूमि एवं भित्ति चित्रण विषय पर कुरुक्षेत्र में चल रही राज्यस्तरीय कार्यशाला में अहीरवाल की लोक कलाओं का प्रतिनिधित्व साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया एवं विज्ञान अध्यापिका गीता यादव ने किया। कार्यशाला में हरियाणा के खादर, बांगर, मेवात, बागड़, अहीरवाल आदि क्षेत्रों की लोककलाओं पर शोधपरक कार्य कराया जा रहा है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्थित हरियाणवी संस्कृति के संग्रहालय धरोहर के क्यूरेटर डॉ. महा ¨सह पूनिया के निर्देशन में दस दिवसीय कार्यशाला में भाग लेकर लौटे सत्यवीर नाहड़िया ने बताया कि अहीरवाल की लोक संस्कृति एवं लोककलाएं प्राचीनकाल से ही बेहद समृद्ध रही हैं। भूमि एवं भित्ति चित्रण अहीरवाल के चप्पे-चप्पे में रचा बसा है। इस क्षेत्र के सभी तीज त्योहारों एवं संस्कारों में इन लोककलाओं का चित्रण श्री एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इस कार्यशाला में जहां नाहड़िया ने इन विलुप्त होती लोककलाओं के बहुआयामी पक्षों पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया, वहीं विज्ञान अध्यापिका गीता यादव ने अहोई अष्टमी, दीपावली, जन्माष्टमी, गूगा नवमी, रक्षा बंधन जैसे तीज त्योहारों तथा संस्कारों में जन्म, छठी, कुआं पूजन, बान, लगन, भात, फेरों आदि से जुड़ा भूमि एवं भित्ति अलंकरण कार्यशाला में अलंकृत करके दिखाए।
कार्यशाला में अहीरवाल के संस्कृति लेखक एवं इतिहासकार डॉ. अतुल यादव विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न जिलों से पधारे प्रतिनिधि, छात्र-छात्राएं तथा कला परिषद के प्रतिनिधि मौजूद थे।