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समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं, नुकसान झेल रहे अन्नदाता

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: पहले मौसम की मार अब समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद शुरू नहीं होना। जिला

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 07:30 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 07:30 PM (IST)
समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं, नुकसान झेल रहे अन्नदाता
समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं, नुकसान झेल रहे अन्नदाता

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी:

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पहले मौसम की मार अब समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद शुरू नहीं होना। जिला का अन्नदाता मौसम से हुए नुकसान को सहकर सरसों के अच्छे भावों की उम्मीद में अपनी उपज को बेचने के लिए अनाज मंडी पहुंच रहा है लेकिन यहां पर आते ही किसानों के हाथ निराशा लग रही है। सरकार ने समर्थन मूल्य तो घोषित कर दिया है लेकिन अभी तक समर्थन मूल्य पर खरीद तो दूर की बात एजेंसियों के पास भी कोई दिशा-निर्देश तक नहीं आए हैं।

आवक बढ़ी तो स्थिर हो गए भाव

पिछले चार-पांच दिनों से जिला में मौसम साफ होने के कारण अधिकांश किसान सरसों की कटाई करके थ्रेसिंग करा चुके हैं। मौसम की वजह से ¨चतित किसान अपने सरसों के भंडारण की बजाय उसे सीधे ही बिक्री के लिए अनाज मंडी में लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन यहां पर उन्हें समर्थन मूल्य के आसपास भी भाव नहीं मिल रहे हैं। अब पिछले तीन दिनों से मंडी में सरसों की आवक 20 हजार बोरियों को भी पार कर चुकी हैं तथा आवक में हुई बढ़ोतरी के बाद सरसों की कीमतों में चल रहे बढ़ोतरी का क्रम भी थम गया है तथा अब सरसों के अधिकतम भाव 3400 से 3500 रुपये प्रति ¨क्वटल के बीच है। सरसों में नमी होने के कारण ज्यादातर किसान अपनी सरसों को 3200 से 3300 रुपये प्रति ¨क्वटल के बीच ही बेचकर जाने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में किसानों के पास सरकार को कोसने के अलावा कोई चारा नहीं है तथा उनको सरसों उत्पादन में योगदान का उपहार सरसों बिक्री में नुकसान का मिला है।

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इस बार सरसों की छड़त बेहद अच्छी है तथा कुछ क्षेत्रों में नुकसान भी हुआ है लेकिन उत्पादन अच्छा हुआ है। अब इस सरसों का अनाज मंडी में बेचने के लिए आए तो अच्छे भाव नहीं मिले हैं लेकिन करें क्या हमारी मजबूरी है कि सरसों जल्द बेचनी है।

-प्रेमलाल, किसान, गांव गोरियावास।

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दक्षिणी हरियाणा के सभी जिलों में मार्च माह के द्वितीय सप्ताह तक सरसों की आवक प्रारंभ हो जाती है लेकिन सरकार 1 अप्रैल से खरीद की बात तो कहती है लेकिन खरीद नहीं करती है। यदि सरकार अभी भी सभी किसानों को माल खरीदने की बात कहें तो किसान कुछ सोचे भी। सरसों का उत्पादन पूरे प्रदेश में होता नहीं है इसलिए इन जिलों में 15 मार्च से ही खरीद शुरू कर दी जानी चाहिए।

-नवीन यादव, किसान, घासेड़ा।

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दक्षिण हरियाणा के जिलों के साथ तो हमेशा ही ऐसा होता आया है। सरसों इन्हीं जिलों में पैदा होती है इसलिए यहां पर 15 मार्च से समर्थन मूल्य पर खरीद कर दी जानी चाहिए ताकि किसानों को नुकसान तो नहीं सहना पड़े। अब यहां पर भी अप्रैल के द्वितीय सप्ताह तक खरीद शुरू होगी उसके नाम पर भी नाटक किया जाएगा तो इससे बेहतर हम पहले सरसों बेचकर अपना काम तो चलाएं।

-आशाराम, किसान, राजावास।

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-यह किसानों की नियति ही है कि उन्हें कोई भी सरकार आए उनके साथ हमेशा यही होता है। सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं किए जाने के कारण हमें प्रति 300 से 400 रुपये प्रति ¨क्वटल तक नुकसान झेलना पड़ रहा है लेकिन करें भी क्या। यदि सरकार समय पर समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू कर दे तो कुछ फायदा हो सकता है।

--शोभाराम, किसान, रोहडाई।

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हमारे साथ तो हर साल यही हाल किया जाता है। सरकार यदि खरीद के प्रति गंभीर होती तो खरीद का कार्य 15 मार्च से प्रारंभ कर देती ताकि सभी किसानों को उचित मूल्य मिल सके। अब 15 अप्रैल तक खरीद शुरू होगी तब तक अधिकांश किसान सरसों बेच चुके होंगे।

-रोहताश, किसान, जाट गंगायचा।

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सरसों खरीद की नोडल एजेंसी नैफेड है तथा उसकी तरफ से सरकार के जरिए गाइड लाइन जारी की जाती है। एजेंसी 1 अप्रैल से ही रबी सीजन की खरीद की शुरुआत करती है तथा अभी तक हमारे पास कोई निर्देश नहीं आए हैं। निर्देश मिलते ही सरसों की खरीद प्रारंभ कर दी जाएगी।

-रामकंवार, जिला प्रबंधक हैफेड।


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