महज 41 पुलिसकर्मियों के भरोसे यातायात व्यवस्था
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : यातायात नियमों की पालना कराने में यातायात पुलिस की अहम भूमिका होती ह
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : यातायात नियमों की पालना कराने में
यातायात पुलिस की अहम भूमिका होती है। परंतु जिला यातायात पुलिस खुद जवानों की कमी से भी जूझ़ रही है। जिले से दो राष्ट्रीय राजमार्ग गुजर रहे हैं। प्रतिदिन इन हाईवे से हजारों की संख्या में वाहन गुजरते हैं, परंतु जवानों व उपकरणों की कमी के कारण अधिकतर वाहन बिना जांच के ही गुजर जाते हैं।
जिले की सड़कों पर ओवरलोड वाहन भी धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। पुलिस के साथ-साथ क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण पर यातायात नियम लागू कराने की जिम्मेदारी है, परंतु यहां भी कार्यवाही को लेकर अधिकारियों की इच्छाशक्ति जवाब दे जाती है।
हर वर्ष हजारों की संख्या में चालान काटने के बावजूद हादसों मे कमी नहीं आ रही है। जहां तक नियमों की अवहेलना की बात है तो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर यह प्रतिशत बेहद अधिक है जिसके कारण इसी मार्ग पर हादसों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है।
यहां दौड़ने वाले डंपर तथा अन्य ओवरलोड वाहन दुर्घटनाओं के कारण बन रहे हैं जिनको लेकर प्रशासन की गंभीरता कभी कभार ही नजर आती है। इसमें भी बीच का रास्ता बेहद आसानी से निकल जाता है जो कि खासकर रात के समय बनाना आसान होता है।
यानि ऐसे वाहनों के लिए आसानी से निकलने का रात का समय होता है, जिसके चलते रात 9 बजे हाइवे तथा नारनौल से आने वाली सड़क पर ओवरलोड डंपरों का कब्जा हो जाता है। नियमों की अवहेलना में प्रमुखत: डंपर, ट्रक, ट्रैक्टर व पिकअप के चालक होते हैं जिन पर न जाने किन कारणों से पुलिस व आरटीए की हमेशा नजरें इनायत बनी रहती है। ऐसे में जब चालान कम होने की बात आती है तो पुलिस एवं परिवहन विभाग महज लक्ष्य पूर्ति के लिए चालान काटकर पूर्ति कर लेते हैं।
कुछ ही कांस्टेबलों के सहारे यातायात थाना
हाइवे पर सुरक्षा मानकों की पालना के साथ नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ पुलिस भी कार्रवाई करती है। यातायात पुलिस के पास मात्र 41 जवान हैं। इन जवानों पर एनएच-8, एनएच-71, शहर रेवाड़ी, बावल व धारूहेड़ा की जिम्मेदारी है। वर्तमान में यातायात पुलिस द्वारा होमगार्ड की भी मदद ली जा रही है। हाईवे, धारूहेड़ा व रेवाड़ी में जाम जैसे स्थिति वाले चौराहों पर यातायात पुलिस के साथ होमगार्ड की भी तैनाती की गई है।
जब पुलिस का जांच अभियान चलता तो उन पर हमला होने का खतरा बहुत अधिक बना रहता है और ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। ओवरलोड डंपर माफिया इस कदर नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं कि पुलिस द्वारा जांच के लिए रुकवाने पर हमला करने से भी नहीं चूकते।
इस स्थिति की वजह से कई बार इच्छाशक्ति भी दब जाती है जो कि बाद में भ्रष्टाचार का पर्याय बन जाती है। यही स्थिति शहर में यातायात व्यवस्था की बनी हुई है। शहर में यातायात व्यवस्था को संभालने के लिए नाईवाली चौक, धारूहेड़ा चौक व हुडा बाईपास पर राव अभय ¨सह चौक पर ट्रेफिक लाइटें लगाई गई है। ये लाइटें कबाड़ में तब्दील होती जा रही हैं। लाखों रुपये लगा कर कई बार इनको ठीक कराया जा चुका है, परंतु ट्रेफिक लाइटों की पालना को लेकर
न तो पुलिस गंभीर है और न ही स्थानीय प्रशासन। ट्रैफिक लाइटों के सुचारू न होने के कारण इन चौराहों पर व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी यातायात पुलिस व होमगार्ड पर है।
आसान हुआ लाइसेंस हासिल करना
व्यवसायिक वाहनों के लाइसेंस जारी करने का जिम्मा आरटीए के पास होता है। नियमों के अनुसार चले तो व्यवसायिक लाइसेंस की प्रक्रिया बेहद कठिन है। इसके लिए एक माह का प्रशिक्षण सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी होती है। प्रशिक्षण तथा ड्राइ¨वग टे¨स्टग में नरमी आ जाने से अकुशल चालक भी व्यवसायिक लाइसेंस हासिल कर लेते हैं जिसका परिणाम इन दुर्घटनाओं के रूप में देखने को मिलता है।
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ट्रैफिक जवानों की कमी को पूरा करने के लिए होमगार्डों की मदद ली जा रही है। शहर के सभी प्रमुख चौराहों से लेकर हाइवे तक पर भी व्यवस्था बनाई गई है। हमारी तरफ नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई भी की जाती है।
--हरि¨सह, जिला यातायात प्रभारी।