आज भी पीड़ा दे रहा आवारा आतंक का खौफ
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी: आवारा आतंक का खौफ क्या होता है यह उस परिवार को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी:
आवारा आतंक का खौफ क्या होता है यह उस परिवार को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है जिसका कोई न कोई इसका शिकार हुआ है। एक बार खाई चोट ¨जदगी भर के लिए नासूर बन जाती है। प्रशासन की नजर में भले आवारा कुत्तों या बंदरों की बढ़ रही तादाद इतनी विकराल नहीं हो लेकिन इनके शिकार हुए लोग आज भी सिहर उठते हैं। अपनों को खोने का दर्द और आवारा आतंक का खौफ उन्हें आज भी पीड़ा दे रहा है।
एक साल पहले गंवा चुकी है विमला देवी अपना सुहाग:
गांव संगवाड़ी निवासी विधवा विमला देवी आज भी अपने घर या आसपास कुत्तों का झूंड देखती है तो सहम उठती है। पिछले साल 15 जुलाई को वह अपना सुहाग खो चुकी है। करीब 60 वर्षीय मूलचंद शर्मा को दो बार कुत्ता काट चुका है। पहली बार करीब छह माह पहले जब कुत्ते ने काटा था तो उसने रेबीज का टीका लगवाया था लेकिन मृत्यु होने से दस दिन पहले उन्हें फिर कुत्ते ने काटा था। इस बार टीका लगवाने में लापरवाही बरती तो जीवन से हाथ धोना पड़ा। विधवा विमला देवी कहती हैं कि आए दिन गांव में बढ़ रहे आवारा कुत्तों की संख्या उन्हें हमेशा डर के साये में जीने को मजबूर हैं।
जीवन और मौत के बीच झूल रहे हरपाल:
इसी गांव के करीब 35 वर्षीय हरपाल आज गुड़गांव के निजी अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। करीब एक माह पहले गांव में कुत्ते के काटने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया। कुत्ते द्वारा उसके हाथ को बूरी तरह से नोच लिया था। गंभीर रूप से घायल होने से उपचार के लिए गुड़गांव के निजी अस्पताल में उपचाराधीन है। परिजनों के अनुसार उसके हाथ में मवाद भरने के कारण घाव गंभीर हो रहा है। हरपाल के घर की माली हालत बहुत खराब है।
एक बार भी नहीं चलाया अभियान:
गांव के पूर्व सरपंच दीपक शर्मा एडवोकेट का कहना है कि गांव में आवारा आतंक का खौफ लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे आए दिन कोई न कोई इनके आतंक का शिकार हो रहा है लेकिन प्रशासन ने आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई प्रयास नहीं किए।
सात माह पहले बंदर ने किया था हमला:
धारूहेड़ा के आजादनगर निवासी अनीता देवी अपने बच्चे के साथ स्कूल बस के इंतजार करते वक्त सात माह पहले बंदर द्वारा हमला किए जाने की घटना को आज भी याद कर सहम उठती है। अनीता देवी बताती हैं कि इसी वर्ष फरवरी माह में अपने बच्चे के साथ स्कूल बस का इंतजार कर रही थी। इस दौरान बंदर ने उन पर और बच्चे पर हमला कर घायल कर दिया था। इसके बाद उन्होंने रेबीज के टीके तो लगवा लिए हैं लेकिन उसका डर आज भी सता रहा है। आज भी जब बंदर देखती हैं तो डर लगने लगता है।