कबाड़ बनी करोड़ों की एयर कंडीशन बसें
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: चंडीगढ़ व जालंधर जैसे रूटों पर लगभग छह वर्ष पूर्व शुरू की गई एयर कंडीशन
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: चंडीगढ़ व जालंधर जैसे रूटों पर लगभग छह वर्ष पूर्व शुरू की गई एयर कंडीशन बसें अब कबाड़ बन चुकी है। फर्क सिर्फ इतना है कि इन्हें अधिकारिक रूप से कबाड़ घोषित नहीं किया गया है। वर्कशाप में खड़ी पांच एसी बसें रोडवेज के कुप्रबंध का ऐसा प्रमाण है, जिसके लिए किसी दस्तावेज की भी जरूरत नहीं है। विशेष बात यह है कि रोडवेज को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने वाली इस लापरवाही के लिए सरकार ने जवाबदेही तय नहीं की है।
जवाबदेही न होने के कारण ही कीमती बसें जंग खा रही है, जबकि यात्रियों की सुविधा छिन चुकी है। रेवाड़ी डिपो में छह साल पहले पांच एसी बसें आई थी। कुछ दिन चलाने के बाद इनको कोने में खड़ा कर दिया गया। कारण यह बताया जाता रहा है कि प्रशिक्षित स्टाफ के अभाव में इनकी मरम्मत नहीं हो पाती, लेकिन इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है कि जब प्रशिक्षित स्टाफ ही नहीं था तो इन बसों को रूट पर उतारा ही क्यों गया? असलियत यह है कि सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए गंभीर प्रयास ही नहीं हुए। छोटी कमियां दूर करने की बजाय रोडवेज को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया।
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नारनौल व सिरसा से आई थी बसें
रेवाड़ी डिपो को दो एसी बसें नारनौल से तथा तीन बसें सिरसा डिपो से मिली थी। प्रायोगिक तौर पर पहले इनका संचालन नारनौल व सिरसा की तरफ से लंबे रूटों पर किया जाना था लेकिन वहां कामयाबी नहीं मिलने के बाद रेवाड़ी डिपो में भेज दिया गया था। लगभग एक साल तक इनका संचालन भी हुआ लेकिन जैसे-जैसे बसों में कुछ खराबी आती गई, वैसे ही इनको खड़ा कर दिया गया। वर्ष 2012 से इन बसों का संचालन पूरी तरह से ठप है।
मुख्यालय ने मांगे दस्तावेज
इन बसों के कंडम होने में अभी दो से तीन साल तक अवधि बची हुई है, लेकिन मुख्यालय ने इन्हें चलाने की बजाय इनसे संबंधित दस्तावेज मंगा लिया है जिससे इनकी फिटनेस भी नहीं हुई है। इन्हें फुर्सत के साथ कंडम बनाया जा रहा है।
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अभी तक बसें कंडम नहीं हुई है। इनके दस्तावेज मुख्यालय द्वारा मांगे गए हैं। इनके स्थान पर नई बसें हमें दे दी गई थी। इनकी स्थिति को लेकर मुख्यालय में कई बार चर्चा अवश्य हुई है लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है।
-संजीव तिहाल, कार्यशाला प्रबंधक।