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घासेड़ा गुरुकुल में तैयार हो रहे हैं सैकड़ों 'रामदेव'

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी : अहीरवाल की माटी के लाल योग गुरु बाबा रामदेव सिर्फ योग नहीं सिखा रहे है

By Edited By: Published: Sun, 19 Jun 2016 04:39 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jun 2016 04:39 PM (IST)
घासेड़ा गुरुकुल में तैयार हो रहे हैं सैकड़ों 'रामदेव'

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी : अहीरवाल की माटी के लाल योग गुरु बाबा रामदेव सिर्फ योग नहीं सिखा रहे हैं, बल्कि भविष्य के लिए योग शिक्षकों की ऐसी पौध भी तैयार कर रहे हैं, जो योग विधा में उनसे किसी भी तरह कमतर नहीं होंगे। यकीन न हो तो जरा रेवाड़ी के गांव घासेड़ा स्थित गुरुकुल में आ जाइए। यहां सैकड़ों 'रामदेव' तैयार हो रहे हैं। गुरुकुल में अध्ययनरत 15 राज्यों के 270 विद्यार्थी योग विधा में एक से बढ़कर एक हैं।

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नारनौल क्षेत्र के गांव सैद अलीपुर निवासी बाबा रामदेव ने विश्वपटल पर योग गुरु के रूप में दस्तक देने से पूर्व घासेड़ा स्थित गुरुकुल को भी कर्मस्थली बनाया था। अब रामदेव ही इस गुरुकुल के चेयरमैन हैं। यह गुरुकुल बाबा के गंभीर मंथन का ठिकाना भी रहा है।

गुरुकुल में संचालित स्कूल पांचवीं से लेकर दसवीं तक सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है। इस स्कूल की विशेष बात यह है कि आधुनिक शिक्षा के मामले में अंग्रेजी से लेकर विज्ञान विषय तक यहां के छात्र नामचीन निजी स्कूलों से किसी तरह भी पीछे नहीं है, लेकिन इन विद्यार्थियों के पास वैदिक शिक्षा का ऐसा गहना है, जो सामान्यतया दूसरे स्कूलों में दुर्लभ है। यहां पर बच्चों की पढ़ाई वैदिक रीति-नीति से होती है। गुरुकुल की अपनी गोशाला है। इन गायों के दूध से ही इन बच्चों का नाश्ता होता है। यहां की वैदिक दिनचर्या दूसरों के लिए प्रेरक है। इन दिनों यहां के विद्यार्थी फरीदाबाद के योग शिविर में अपनी छाप छोड़ रहे हैं। पिछले दिनों गीता जयंती पर इस स्कूल के विद्यार्थियों ने बाल भवन के उसी मंच पर अपनी प्रतिभा का जलवा दिखाया था, जिस जगह पर बाबा रामदेव ने अपने पहले योग शिविर की कैसेट तैयार करवाकर छोटे पर्दे पर कदम रखा था।

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गुरुकुल का आवासीय विद्यालय है। यहां अध्ययनरत बच्चे सुबह चार बजे उठ जाते हैं। उसके बाद प्रतिदिन एक घंटा योगाभ्यास करते हैं। उसके बाद एक से डेढ़ घंटा तक पढ़ाई व सुबह 8 से 9 बजे तक नियमित रूप से हवन में भाग लेते हैं। नियमित अभ्यास, बाबा की प्रेरणा, सात्विक जीवन शैली व राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव ने इन बच्चों को विशेष बना दिया है। ऐसे बच्चे ही भविष्य में योग विधा के प्रचार के लिए आगे आएंगे।

--सत्यव्रत शास्त्री, ¨प्रसिपल

गुरुकुल घासेड़ा स्कूल।


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