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..बलिहारी गुरु आपने गो¨वद दिये मिलाय

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: गुरु गो¨वद दोउ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने जिन गो¨वद दिए म

By Edited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 12:59 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 12:59 AM (IST)
..बलिहारी गुरु आपने गो¨वद दिये मिलाय

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी:

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गुरु गो¨वद दोउ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने जिन गो¨वद दिए मिलाय। महान संत कबीर की यह पंक्तियां अपने आप में इस बात का प्रमाण है की हमारे संतों ने गुरु का दर्जा भगवान से भी बढ़कर माना है। ये सच है कि भौतिकवाद की चकाचौंध ने गुरु-शिष्य के रिश्ते की गरिमा कम की है, लेकिन हर तरफ अंधेरा नहीं है। यहां आज भी कमालपुर जैसे सरकारी स्कूल के शिक्षक ऐसा कमाल दिखा रहे हैं, जिससे श्रद्धा से सिर झुकता है। आमतौर पर सरकारी स्कूलों को हेय दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन शहर से दूर गांव में होते हुए भी कमालपुर के स्कूल में दाखिला लेने के लिए शहर के बच्चे भी लालायित रहते हैं।

इस आदर्श स्कूल की विशेषता है यहां के शिक्षकों की पूरी टीम। हसला के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अनिल यादव के शब्दों में, 'कमालपुर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ने जिस जिम्मेदारी से शिक्षा का स्तर उन्नत किया है, वह सही मायने में दूसरे शिक्षकों के लिए भी प्रेरक है। यहां किताबी पढ़ाई के साथ सभ्यता, नैतिक शिक्षा व संस्कृति के भी संस्कार मिलते हैं।' कौन यकीन करेगा कि रेवाड़ी शहर के बच्चे इस गांव के स्कूल में पढ़ने जाते हैं, परंतु यही सच है। और यह सच इस बात का द्योतक है कि शिक्षक यदि गुरु की भूमिका अदा करने के लिए तैयार हो तो स्कूल को भी शिक्षा का मंदिर बनने में देर नहीं लगेगी।

डॉ. लक्ष्मीनारायण ने स्थापित किया आदर्श

यहां के सेक्टर चार में रह रहे गांव मूसेपुर निवासी डॉ. लक्ष्मीनारायण ने भी खुद को साबित किया है। राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित लक्ष्मीनारायण एक समय न केवल एजुसेट के राज्य समन्वयक रहे, बल्कि पूरे राज्य में बच्चों को इतिहास के बारे में भी एजुसेट के माध्यम से जानकारी दी। इतिहास शिक्षक लक्ष्मीनारायण आज भी यहां के गांव ततारपुर-इस्तमुरार स्थित मॉडल संस्कृति स्कूल में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। पिछले वर्ष पुरस्कार के समय भी वे इसी स्कूल में थे। उनकी बड़ी उपलब्धि यह रही है कि इतिहास विषय का पिछले पांच वर्षों का उनका परिणाम न केवल शत प्रतिशत रहा है, बल्कि उत्तीर्ण होने वाले 60 फीसद से अधिक बच्चे प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए हैं। परिणाम देने वाली इस उपलब्धि ने ही उन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार का पात्र व शिष्यों का चहेता बना दिया।


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