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आरक्षण की फांस, 'हरियाणवी' पर टिकी आस

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: कुछ बातें मौन रहकर तो कुछ इशारों में भी कही जाती हैं। आरक्षण के लिए आंद

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 01:06 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 01:06 AM (IST)
आरक्षण की फांस, 'हरियाणवी' पर टिकी आस

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: कुछ बातें मौन रहकर तो कुछ इशारों में भी कही जाती हैं। आरक्षण के लिए आंदोलन की तैयारी कर रहे जाट समुदाय को ही नहीं बल्कि पिछड़ा वर्ग को भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी मंशा से अवगत करवा दिया है। रविवार को रेवाड़ी आए सीएम मनोहरलाल ने यादव कल्याण सभा के मंच से नया नारा दिया हरियाणा एक, हरियाणवी एक। आरक्षण की फांस से निकलने के लिए अब सरकार की आस इसी नए नारे पर है।

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मुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग के कई यादव नेताओं की मौजूदगी में ही ये स्पष्ट कह दिया कि आरक्षण कमजोर लोगों को बराबरी पर लाने का उपाय है न कि संपन्न को अधिक संपन्न बनाने का। यादव समुदाय को संपन्न बताने में भी सीएम ने संकोच नहीं किया। देखना यह है कि जाट आंदोलन से निपटने के लिए एकता मंत्र के नाम का ये नया नारा कितना कारगर हो पाएगा।

जातिवाद पर जमकर कटाक्ष

रविवार का कार्यक्रम अनूठा था। जातिवाद की बुराई पर बोलने के लिए मुख्यमंत्री ने जाति आधारित संस्था के ही मंच को चुना। उन्होंने माना कि सदियों से बिरादरी आधारित संस्थाएं सेवा करती आ रही हैं लेकिन मौजूदा समय में आई नैतिक मूल्यों की गिरावट पर उनका तल्ख प्रहार रहा। मुख्यमंत्री ने यादव कल्याण सभा को 21 लाख रुपये देने की घोषणा अवश्य की, लेकिन नसीहत के साथ। उन्होंने संस्था के लिए एक करोड़ रुपये समाज से ही एकत्रित करने का जिम्मा भी लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर ¨सह को दिया। लेकिन सीएम यह कहना नहीं भूले कि उन्हें ऐसी संस्थाओं की मदद में अधिक खुशी होगी, जो एक की बजाय छत्तीस बिरादरी के लिए गठित होती हैं। यह मनोहरलाल की मंशा थी। हालांकि बतौर मुख्यमंत्री उन्हें यह कहना पड़ा कि बिरादरी की संस्थाओं का भी सम्मान रखा जाएगा, लेकिन संकेत साफ था जातिगत संस्थाएं उनकी पंसद नहीं हैं।

उन्होंने बिरादरी की संस्थाओं पर गंभीर सवाल भी खड़े किए। सार्वजनिक मंच से कहा कि बिरादरी आधारित प्रदेश की 100 से भी अधिक संस्थाएं आपस में लड़ रही हैं। मन की बात नहीं छुपाई। संकेतों में स्पष्ट कह दिया-मनोहर किसी जाति का नेता नहीं। पूरे हरियाणा का नेता है। ध्येय है भारत की सेवा और जाति है हरियाणवी। आरक्षण पर भी यही संकेत स्पष्ट था कि अब इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी बहस का समय आ गया है।

यहां यह भी बता दें कि कुछ दिन पहले भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला भी जागरण से बातचीत में यह कह चुके हैं कि आरक्षण पर अब राष्ट्रव्यापी बहस की जरूरत है। बहस रूपी मंथन से ही समाधान निकल पाएगा।


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