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हृदय व मस्तिष्क का संस्कृति करती है विकास

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : नई दिल्ली की सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र के तत्वावधान में त

By Edited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 01:58 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2015 01:58 AM (IST)
हृदय व मस्तिष्क का संस्कृति करती है विकास

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : नई दिल्ली की सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र के तत्वावधान में तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। मॉडल टाउन स्थित वृंदा बैंकट हॉल में आरंभ हुई कार्यशाला का जिला शिक्षा अधिकारी धर्मवीर ¨सह बल्डोदिया ने उद्घाटन किया।

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उन्होंने कहा कि संस्कृति व्यक्ति के हृदय व मस्तिष्क दोनों का विकास करती है जबकि ज्ञान व्यक्ति के मस्तिष्क का ही विकास करता है। पूर्वजों द्वारा मिली संस्कृति को अध्यापकों के द्वारा ही संरक्षित व संवर्धित किया जा सकता है। खंड शिक्षा अधिकारी भीमसेन गौड़ ने इसे वर्तमान परिवेश में अध्यापकों के सामने एक गंभीर चुनौती बताया। साथ में अध्यापकों से शिक्षा को रोचक बनाकर छात्रों में शुद्ध आचरण व नैतिक मूल्यों का विकास करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के संयोजक अनिल यादव ने बताया कि 5 अगस्त तक चलने वाली इस कार्यशाला में अध्यापकों के माध्यम से छात्रों की अध्यात्मिक शक्तियों का विकास श्रेष्ठ मूल्यों को अपनाने, छात्रों में सहयोग, शिष्टाचार, शालीनता, कर्तव्यनिष्ठा, संयम और त्याग आदि गुणों का विकास करना, पाश्विक कृतियों को त्यागकर सामाजिक विरासत के रूप में मिली संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन तथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करना व शिक्षण कौशल को उन्नत बनाने के लिए जागरूक किया जाएगा। कार्यशाला को गूगन ¨सह, प्राथमिक शिक्षक संघ प्रधान चंद्रहास ने भी संबोधित किया।


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