नालों की गंदगी रोक रही है पानी की राह
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : मानसून पूर्व नालों की सफाई को लेकर नगर परिषद (नप) प्रशासन बेफ्रिक है। आलम
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : मानसून पूर्व नालों की सफाई को लेकर नगर परिषद (नप) प्रशासन बेफ्रिक है। आलम यह है कि हर बारिश के दौरान शहर के प्रमुख स्थानों पर जलभराव की बेहद गंभीर समस्या होती है, लेकिन परिषद ने नालों की सफाई में प्रशासन के निर्देशों को भी तवज्जो नहीं दी है, और अभी तक प्रमुख नालों की सफाई तक नहीं हुई है। जिन स्थानों पर हुई है वहां पर भी सिल्ट उठाने की बजाय नालों के किनारे ही डाल दी गई है।
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आटो मार्केट नाले की सफाई नहीं
जिला प्रशासन की तरफ से शहर में मानसून पूर्व नालों की सफाई को लेकर परिषद को बैठकों में खूब निर्देश दिया गया, लेकिन नगर परिषद ने उन पर आधा-अधूरा अमल किया। शहर में प्रमुख जलभराव वाले स्थानों में नाईवाली चौक भी शामिल है और यहां पर बारिश के दौरान जो हालात पैदा होते हैं उसके लगभग एक पखवाड़ा पूर्व हुई बारिश के दौरान नप प्रशासन देख भी चुका है। शहर में उस दिन लगभग 70 एमएम बारिश हुई थी और सरकुलर रोड से नाईवाली चौक तक के क्षेत्र में दो फीट तक पानी जमा हो गया था। इसकी वजह से सड़कों पर जाम भी लग गया था तथा आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। यह स्थिति देखने के बाद भी नगर परिषद प्रशासन ने नाईवाली चौक से आटो मार्केट को जा रहे नाले की सफाई नहीं कराई। सफाई के अभाव में यह नाला अभी भी गंदगी से लबालब भरा हुआ है जिसकी वजह से अगर दोबारा तेज बारिश क स्थिति में फिर वहीं हालात पैदा होंगे, लेकिन नप अधिकारियों को जनता की इस समस्या से मानो कोई वास्ता ही नहीं है। यह समस्या इस बार ही नहीं हर बार होती है, लेकिन नगर परिषद ने स्थायी समाधान के लिए आज तक कोई कदम नहीं उठाए हैं।
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अतिक्रमण की भी गंभीर समस्या
नाईवाली चौक से यह नाला आटो मार्केट होते हुए नई आबादी से रेलवे लाइन के सहारे पानी गोकलगढ़ तक जाता है। इसका प्रवाह सुचारु रखा जाए तो बारिश के दिनों में शहर में जलभराव की समस्या नहीं होगी, लेकिन नप की लापरवाही के चलते इस पूरे नाले पर अतिक्रमण की बेहद गंभीर समस्या है। खासकर आटो मार्केट के व्यापारियों ने नाले के ऊपर फर्श तक डाला हुआ है जिससे यहां पर कभी सफाई भी संभव नहीं है। हालांकि पिछले वर्ष परिषद ने यहां से अतिक्रमण हटाकर नालों की सफाई की थी, लेकिन यह कार्य आधा-अधूरा ही छोड़ने के बाद अब हालात फिर वही हो गए हैं।