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ऐतिहासिक शहर में छुपा है गौरवशाली इतिहास

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: ठोस पैरवी व जन प्रतिनिधियों की दूरदर्शिता की कमी के कारण बेशक भारतीय पुरात

By Edited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 12:59 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2015 12:59 AM (IST)
ऐतिहासिक शहर में छुपा है गौरवशाली इतिहास

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: ठोस पैरवी व जन प्रतिनिधियों की दूरदर्शिता की कमी के कारण बेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सूची में रेवाड़ी की किसी विरासत को जगह नहीं मिली हो, लेकिन हकीकत में महाभारतकालीन शहर में गौरवशाली इतिहास छुपा है। एक ओर उत्तर भारत का एकमात्र हेरीटेज लोको शेड शहर की शान बढ़ा रहा है, वहीं हेम चंद्र विक्रमादित्य की हवेली वीरता की याद दिलाती है। राजा राव तुलाराम की गौरवगाथा यहां के कण-कण में समाई हुई है।

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लोकोशेड: छुक-छुक करती चलती रेल

भाप से चलने वाले इंजनों का युग बेशक अतीत बन गया है, लेकिन रेलवे ने अपनी विरासत को बेहद संजोकर रखा है। 1893 में यहां स्थापित हुए लोको शेड को 2002 में हेरीटेज का दर्जा दिया गया था। यहां छुक-छुक करते लगभग एक दर्जन इंजन हैं। शानदार रेल म्यूजियम है, जिसमें रेल के सफर को दर्शाया गया है। भाग मिल्खा भाग, गदर तथा गांधी जैसी कई चर्चित फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है। वर्ष 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान इसे नया लुक देकर पर्यटकों के लिए विशेष तौर पर खोला गया था, लेकिन रेलवे ने तब बाद में गंभीरता नहीं दिखाई। रेलवे प्रयास करे तो ये लोको शेड भारतीय पर्यटन मानचित्र पर अपनी विशेष जगह बना सकता है।

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हेमू की हवेली

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज (इंटेक) ने यहां हेमचंद्र विक्रमादित्य की हवेली को भारत की दस संरक्षित रखने वाली विरासतों की सूची में शामिल किया है। हेमू के नाम से चर्चित रहे भारत के अंतिम हिंदु सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की कर्मस्थली रेवाड़ी थी। उन्होंने 1553 से 1556 तक 22 लड़ाइयां लड़ी थीं। इंटेक के स्थानीय चेप्टर संयोजक सुधीर भार्गव के अनुसार रेवाड़ी में बड़ा तालाब जैसी कई विरासत ऐसी हैं, जिन्हें एएसआइ को संरक्षित घोषित करना चाहिए था, लेकिन एएसआइ कुछ खास स्थानों के लिए काम कर रही है।

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विरासतों का इतिहास

महाभारत काल के राजा रेवत की पुत्री रेवती के नाम पर बसे रेवाड़ी शहर में बड़ा तालाब, कानोड गेट, दिल्ली गेट, सोलहराही, लाल मस्जिद, सेंट एंड्रयूज चर्च, बागवाला तालाब, भगवत भक्ति आश्रम, हनुमान मंदिर, घंटेश्वर महादेव मंदिर जैसी कई ऐतिहासिक धरोहर हैं। यहां का रावमा स्कूल भी इतिहास समेटे है। अंग्रेजों के जमाने के कुछ कमरों को संरक्षित रखने की जरूरत है। नगर परिषद का टाउन हाल भी धरोहर है। बड़ा तालाब व सोलहराही सरोवर की शान बढ़ाने हेतू प्रस्ताव सरकार को भेजा हुआ है, लेकिन आज की बात करें तो ये दोनों विरासत कीचड़ के ठिकाने बने हैं।


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