विजिलेंस जांच से पहले भी आयेगी आंच
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: कलेक्टर रेट में छेद ढूंढकर भूखंडों का पंजीकरण करवाने व नियमों को ताक पर रख
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: कलेक्टर रेट में छेद ढूंढकर भूखंडों का पंजीकरण करवाने व नियमों को ताक पर रखकर बिना उचित अनुमति के निर्माण करने के चर्चित मामले में स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की जांच जल्दी ही शुरू हो जायेगी। विजिलेंस जांच का दायरा व्यापक है, परंतु अकेले स्टांप ड्यूटी चोरी के मामले में एसडीएम रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 47 ए के तहत अलग से भी मामले की जांच करेंगे। उपायुक्त ने इस संबंध में जरूरी आदेश जारी कर दिये हैं।
गत माह 6 फरवरी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रेवाड़ी नगर परिषद में वर्ष 2012 से 2014 तक मंजूर हुए सभी कामर्शियल नक्शों की विजिलेंस से जांच का आदेश दिये थे। ये आदेश बावल के तत्कालीन एसडीएम जितेंद्र गांधी द्वारा एक मामले में की गई जांच के दौरान उजागर हुए तथ्यों को देखते हुए दिये गये थे। जितेंद्र गांधी की रिपोर्ट की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन उपायुक्त आरसी वर्मा ने राज्य सरकार को विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी। एसडीएम ने अपनी जांच में कुछ गिने-चुने मामलों को ही उठाया था, परंतु राज्य सरकार ने गिने चुने मामलों को जांच में शामिल करने की बजाय बड़ा फैसला लेते हुए वर्ष 2012 से 2014 तक रेवाड़ी नगर परिषद द्वारा स्वीकृत किये गये सभी कामर्शियल नक्शों की जांच विजिलेंस को सौंपी थी
कैसे उजागर हुआ था मामला
दैनिक जागरण ने 8 जनवरी को 'तथ्य छुपाकर हड़पी लाखों की स्टांप ड्यूटी' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। मामला तब सामने आया था, जब अस्थायी रूप से रेवाड़ी के एसडीएम का भी दायित्व देख रहे बावल के एसडीएम ने कुछ नक्शों की जांच के दौरान स्टांप ड्यूटी की चोरी पकड़ी थी और रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी। केवल आठ नक्शों के आधार पर की जांच में ही करीब 1 करोड़ की स्टांप ड्यूटी की चोरी का खुलासा किया गया था। मामले की गंभीरता देख तत्कालीन उपायुक्त आरसी वर्मा ने पूरे प्रकरण की जांच राज्य चौकसी ब्यूरो से करवाने की सिफारिश की थी।
शहरी स्थानीय निकाय विभाग को नगर परिषद के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा उप रजिस्ट्रार (तहसीलदार) की मिलीभगत से कामर्शियल नक्शे पास करने में गड़बड़ी की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थी। सरकार से भूमि उपयोग परिवर्तन की अनुमति लिये बिना निर्माण करने की भी शिकायतें मिली थी। जिस मामले को लेकर विवाद उठा, वह मुख्य रूप से यहां के बंद हो चुके राज सिनेमा की जमीन से संबंधित था। लेकिन एक बात अब भी चर्चा में है कि तत्कालीन एसडीएम ने कुछ खास लोगों को निशाना बनाने के लिए जांच की। हालांकि सरकार ने इन आरोपों से बचने के लिए तमाम झंझट खत्म कर दिये और शत प्रतिशत पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 2012 से 2014 तक स्वीकृत हुए सभी कामर्शियल नक्शों की जांच के आदेश दिये हैं। सरकार के कदम से हड़कंप है, लेकिन एक सवाल अभी से उठना शुरू हो गया है-क्या विजिलेंस जांच का शिकंजा दोषियों पर कस पायेगा या लीपापोती हो जायेगी?
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विजिलेंस जांच के बाद भी निर्माण
सरकुलर रोड़ की जिस जमीन पर बावल के एसडीएम जितेंद्र गांधी ने स्टांप ड्यूटी चोरी व नियमों को ताक पर रखकर निर्माण की रिपोर्ट दी थी, उनके लंबे हाथों का अंदाज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि विजिलेंस जांच के राज्य सरकार के आदेशों के बाद भी निर्माण बंद नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार प्रशासन की मिलीभगत व शह पर उन लोगों को जानबूझ कर निर्माण का मौका दिया गया, जिन पर स्टांप ड्यूटी में हेराफेरी व नियमों के अनुसार नक्शा पास न करवाने का आरोप था। मंगलवार को कुछ लोगों ने उपायुक्त यश गर्ग के समक्ष फिर से ये मामला उठाया।
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विजिलेंस जांच शीघ्र शुरू हो जायेगी। मुख्यमंत्री महोदय आदेश दे चुके हैं। उस जांच का दायरा व्यापक है। लेकिन हम स्थानीय स्तर पर स्टांप ड्यूटी की चोरी से संबंधित शिकायतों पर संज्ञान ले रहे हैं। मामले की जांच एसडीएम को सौंप दी गई है। रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 47 ए के तहत इस मामले में उचित कार्रवाई की जायेगी।
यश गर्ग
उपायुक्त, रेवाड़ी