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पानी नहीं बचाया तो आंखों से निकलेगा पानी

जनहित जागरण: जल संरक्षण फोटो नंबर: 13 ------------------- -हर मंच पर पानी बचाने की नसीहत दे र

By Edited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 04:31 AM (IST)
पानी नहीं बचाया तो आंखों से निकलेगा पानी

जनहित जागरण: जल संरक्षण

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फोटो नंबर: 13

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-हर मंच पर पानी बचाने की नसीहत दे रहे हैं कंवर सिंह

-जल संरक्षण पर प्रस्तुत कर चुके हैं लगभग 30 शोध पत्र

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: आज पानी नहीं बचाया तो कल नहीं आएगा..जल ही हमारा कल है..यदि सिंचाई में किया जा रहा पानी का दुरुपयोग नहीं रोका तो फिर आंखों से पानी निकलना शुरू हो जाएगा..। रेवाड़ी के गांव पाली निवासी कंवर सिंह कुछ इसी तरह की शब्दावली का सहारा लेकर पानी बचाने की मुहिम में जुटे हैं।

जब और जहां अवसर मिलता है, उसी मंच पर कंवर सिंह पानी बचाने की नसीहत देते नजर आते हैं। कुछ दिन पहले केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय व प्रदेश के सिंचाई विभाग की ओर से संयुक्त रूप से रेवाड़ी में हुई हमारा जल-हमारा जीवन विषय की कार्यशाला में भी कंवर सिंह ने किसानों के बीच पानी बचाने के उपाय बताए। कंवर सिंह का कहना है कि गेहूं में सिंचाई का मौजूदा तरीका पूरी तरह गलत है। टपका सिंचाई से अलग हटकर मौजूदा सिंचाई के तरीके को भी बदलें तो एक तिहाई पानी बचाया जा सकता है।

कंवर सिंह हुसैनपुर स्थित डिप्लोमा इंस्टीट्यूट आफ एजूकेशन एंड ट्रेनिंग में भूगोल के प्रवक्ता हैं व भारतीय भूगोल कांग्रेस के लाइफ टाइम फैलो हैं। कंवर सिंह अब तक विभिन्न विश्वविद्यालयों के अलावा कई कांग्रेस में अपने शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं। उनका मूल विषय जल संरक्षण ही रहा है। दक्षिण हरियाणा की साहबी, कृष्णावती व दोहान नदियों को लेकर कंवर सिंह ने राजस्थान सरकार की चैक डैम बनाने की नीति पर कई बार उंगली उठाई है।

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जल संरक्षण सबसे बड़ी जरूरत

जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है। बचपन से इस दिशा में बच्चों को शिक्षित करना होगा। दक्षिण हरियाणा की कई बरसाती नदियों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। वर्ष 2004 में चंडीगढ़ में हुई इंडियन साइंस कांग्रेस में भाखड़ा नंगल प्रोजेक्ट के पक्ष में शोधपत्र पेश किया था। इसी तरह 2005 में अहमदाबाद स्थित निरमा यूनिवर्सिटी में डिजास्टर एंड वाटर मैनेजमेंट पर इस इलाके की साहबी नदी को केंद्र में रखकर शोध पत्र प्रस्तुत किया था। हाल ही में मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित किए गए भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 102 वें अंतर्राष्ट्रीय सत्र में 'अन इकालाजिकल रेन वाटर आन ग्राउंड वाटर पोटेंशियल इन साउदरन हरियाणा-ए ज्यो साइंटिफिक अनालाइसेस' नामक रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। इस शोध पत्र में भी साहबी व कृष्णावती नदियों पर राजस्थान सरकार द्वारा बनाए गए बांधों का उल्लेख करते हुए कई बातों का उल्लेख किया गया है। राज्य सरकार को भी जल संरक्षण के संबंध में इस शोध पत्र के माध्यम से सुझाव दिए गए हैं। गांव पाली की अरावली पर्वत श्रंखला में जल संरक्षण का बेहतर उपाय तलाश करने के काम में जुटा हूं। पेपर वर्क पूरा होते ही ये प्रस्ताव सरकार को भेजूंगा।

-कंवर सिंह, लाइफ टाइम फैला

भारतीय विज्ञान कांग्रेस।


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