लीड: मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है सतनाली खंड
-स्वास्थ्य व परिवहन सुविधा बनी मजाक -घोषणाएं हुई, लेकिन नहीं हुआ धरातल पर कार्य संवाद सहयोगी, सत
-स्वास्थ्य व परिवहन सुविधा बनी मजाक
-घोषणाएं हुई, लेकिन नहीं हुआ धरातल पर कार्य
संवाद सहयोगी, सतनाली
दक्षिणी हरियाणा के अंतिम छोर व राजस्थान की सीमा से सटा सतनाली कस्बा आजादी के करीबन 67 वर्ष बीत जाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। सुविधाओं की बात की जाए तो सतनाली कस्बे व आसपास क्षेत्र के लोग सरकार द्वारा क्षेत्र के विकास के लिए समय-समय पर घोषित विकास योजनाओं के पूरा होने का इंतजार करते रह जाते है वहीं क्षेत्र में सरकार द्वारा घोषित योजना के सिरे न चढ़ने से कस्बावासियों का विश्वास भी प्रशासनिक व राजनीतिक व्यवस्था से उठ गया है।
परिवहन सुविधा:-
परिवहन सुविधा के नाम पर सतनाली क्षेत्रवासियों को आबादी के हिसाब से विभिन्न मार्गों पर राज्य परिवहन निगम की बस सेवाओं का पूर्णतया अभाव है वहीं रेल सुविधा के नाम पर भी क्षेत्रवासियों को मात्र दो पैसेंजर गाड़ियों से ही संतोष करना पड़ा। एक समय था जब सतनाली कस्बा राज्य परिवहन निगम की बसों द्वारा देश की राजधानी नई दिल्ली, चंड़ीगढ़, रेवाड़ी, हिसार, गुडगाव, रोहतक, जीन्द, कैथल, जयपुर सहित अनेक भागों से जुड़ा था, लेकिन वर्तमान में सभी सेवाएं बंद हैं।
स्वास्थ्य एवं शिक्षा:-
पीएचसी को सीएचसी में अपग्रेड करने के बारे पूर्ववर्ती सरकार ने चार घोषणा की। अपग्रेड होना तो दूर बल्कि स्वास्थ्य केन्द्र में सुविधाएं तक नहीं मिल पाई। आसपास के करीबन दो लाख से भी अधिक लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मुख्य रूप से सतनाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड करने संबंधित प्रक्रियाओं के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों का सतनाली आना व जाना तो लगा रहता है, लेकिन सिवाय कागजी खानापूर्ति के क्षेत्रवासियों को कुछ भी हासिल नहीं हुआ। उच्च शिक्षा के नाम पर कालेज निर्माण मामले में भी क्षेत्र के विद्यार्थियों को निराशा ही हाथ लगी, गत शैक्षणिक सत्र से कालेज की कक्षाएं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शुरू कर दी गई लेकिन कालेज भवन नहीं बन पाया। कामर्स व विज्ञान संकाय की शिक्षा शुरू न होने से विद्यार्थियों को महेंद्रगढ़ या भिवानी की ओर रूख करना पड़ रहा है।
बीआरसी व शीप सेंटर भी हुए स्थानातरित:-
31 मई 2002 को तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री बहादुर सिंह ने अध्यापकों के प्रशिक्षण आदि के लिए बीआरसी सेंटर का निर्माण करवाया था जो वर्ष 2005 में सत्ता बदलते ही काग्रेस सरकार की भेंट चढ़ गया। तत्कालीन काग्रेस सरकार ने बीआरसी सेन्टर को यह कहते हुए महेंद्रगढ स्थानातरित करवा दिया कि यहा इसकी कोई आवश्यकता नही है। इतना ही नही भेड़ प्रजनन में सुधार लाने के लिए वर्षो पहले बनाए गए शीप सेंटर को भी सरकार ने इस क्षेत्र से हटवाकर अटेली मंडी के कलवा में स्थानातरित करवा दिया। माधोगढ़ के प्राचीन किले को पर्यटन केन्द्र बनाने के मामले में भी सरकार ने ढिलाई बरती, तथा किले को पर्यटन केंद्र बनाने की घोषणा केवल क्षेत्रवासियों के लिए छलावा साबित हुई।