सतनाली में नहीं है रैन बसेरा
-रैन बसेरे का लोगो लगाएं -सर्दी के मौसम में गरीबों को होती है परेशानी संवाद सहयोगी, सतनाली। सतना
-रैन बसेरे का लोगो लगाएं
-सर्दी के मौसम में गरीबों को होती है परेशानी
संवाद सहयोगी, सतनाली। सतनाली कस्बे में रैन बसेरे की सुविधा न होने के कारण सर्दी के मौसम में रात के समय राहगीरों की बस या ट्रेन से निकल जाने की स्थिति में राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तथा मजबूरी में राहगीरों को रेलवे स्टेशन के फर्श पर कड़कड़ाती ठड के बीच रात गुजारने को मजबूर होना पड़ता है।
सतनाली कस्बे आसपास प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से लोगों व व्यापारियों का आना जाना लगा रहता है यदि उनकी बस या ट्रेन किसी कारण से छूट जाती है तो उन्हे रैन बसेरे के अभाव में खुले आसमान के नीचे ही रात गुजारने पर मजबूर होना पड़ता है।
वहीं दूसरी ओर कस्बा व आसपास के सैकड़ों लोग ऐसे है जो बिना छत के ही खुले आसमान के नीचे सोते है। सर्दी के मौसम में इन बेसहारा लोगों अभी तक कोई सहारा नहीं मिल पाया है। हालाकि अभी सर्दी का मौसम शुरू हुआ है। दिल में तो ये लोग धूप का सहारा ले लेते है, लेकिन रात के समय इनको सोने की चिंता सताती रहती है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैड की दुकानों के बरामदों में अक्सर ये बेसहारा लोग दो गज की चादर तानकर अपनी रात काटते है।
ठड बन सकती है आफत-
सर्दी अपनी दस्तक दे चुकी है। अब लगातार ठड बढ़ रही है। सर्द रातों में बाहर रहना बहुत मुश्किल है। ऐसे में रैन बसेरों की जरूरत बढ़ जाती है। ठड से मरने वालों की खबर हर साल आती है। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को रैन बसेरा की बेहतर सुविधा मिले, ताकि वे सुरक्षित रह सकें। कस्बा में यूं तो रेलवे स्टेशन के पास रहने को धर्मशाला भी बनी हुई है लेकिन बेसहारा लोगों की तादाद ज्यादा होने के कारण सभी यहा पर सोने में असमर्थ है।
कस्बावासियों सवाई सिंह राठौड़, मदन मस्ताना, सोमवीर सिंह, प्रवीन श्यामपुरा, अशोक शेखावत, महेंद्र सिंह, राजकुमार, मनोहरलाल आदि का कहना है कि कस्बा में सरकार को रैन बसेरा बनाना चाहिए ताकि किसी राहगीर व आमजन को रात्रि के समय ठहराव के लिए स्थान मिल सके और उसे सड़कों के किनारे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैड पर सोकर न रात काटनी पडे़।