कादीपुर से बावल के रास्ते चंडीगढ़ पहुंचे डा. बनवारी
फोटो संख्या: 13 ---------- -सत्ता में भागीदारी से 10 साल दूर रहे बावल विधानसभा क्षेत्र की 'सेहत'
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-सत्ता में भागीदारी से 10 साल दूर रहे बावल विधानसभा क्षेत्र की 'सेहत' सुधारने का बड़ा जिम्मा
-युवाओं को स्थानीय उद्योगों में आरक्षण तथा बावल को विकास के मानचित्र पर लाना बड़ी चुनौती
मनीष कुमार, रेवाड़ी : बावल में अस्पताल चलाकर लोगों की सेहत सुधारने वाले भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक डा. बनवारी लाल अब विधानसभा में इलाके की बीमारी दूर करने वाले'डाक्टर' बनेंगे। सत्ता में दस साल तक भागीदारी से दूर रहे बावल से विपक्षी विधायक होने पर यहां के लोगों की शिकायतों का अंबार है, जिनका समाधान करना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
डा. बनवारी लाल मूल रूप से महेंद्रगढ़ के गांव कादीपुर के रहने वाले हैं। शुरुआत में उन्होंने बावल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बतौर एसएमओ अपनी सेवाएं शुरू की। डा. बनवारी लाल की योग्य डाक्टर होने की धाक बनी तो बावल की जनता ने उन्हें अपना बना लिया। उन्होंने करीब दस साल पूर्व राजकीय सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और अपना क्लीनिक शुरू कर दिया। इस दौरान वे राजनीति से बिल्कुल दूर रहे। कुछ वर्ष पूर्व वे राव इंद्रजीत सिंह के संपर्क में आए। उनकी बावल में अच्छी पहचान की बदौलत उन्हें कांग्रेस का ग्रामीण जिलाध्यक्ष का भी पद मिला, लेकिन वर्ष 2013 में कांग्रेस से सांसद रहते हुए राव इंद्रजीत सिंह के समर्थन में यह पद छोड़ दिया। उनकी इस वफादारी का राव इंद्रजीत सिंह ने भाजपा की टिकट के जरिए इनाम दिया तो मोदी लहर व राव के साथ ने उन्हें सामान्य से खास बना दिया।
कम नहीं हैं चुनौतियां
वर्ष 2000 में कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय मैदान में उतरी शकुंतला भगवाड़िया यहां से विधायक चुनीं गई, लेकिन सरकार ने कोई खास तवज्जो नहीं दी। वर्ष 2005 में यह सीट इनेलो के खाते में चली गई तथा रामेश्वर दयाल विधायक बने। राज्य में कांग्रेस की सरकार होने पर वे अपने कार्यकाल में बावल के लिए कुछ भी नहीं कर पाए। वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री की रैली के दौरान बावल को उपमंडल का दर्जा मिलना ही सबसे बड़ा तोहफा था। इसके अलावा विकास, जमीन अधिग्रहण, बिजली-पानी संकट, उच्च शिक्षा केंद्रों का अभाव सहित अन्य कई ऐसी समस्याएं है, जिनका मौजूदा विधायक के लिए समाधान करना बड़ा चुनौतीपूर्ण होगा।