बॉटम : चुप्पी में छुपी है राज की चाबी
सियासत की बिसात: -------------- -मौन टूटने पर बिखर जाएगा उम्मीदों का महल - महेश कुमार वैद्य
सियासत की बिसात:
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-मौन टूटने पर बिखर जाएगा उम्मीदों का महल
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महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: सबसे बड़ा हथियार-मौन। आध्यात्मिक जगत की ये कहावत राजनीति के क्षेत्र में भी कई बार कारगर साबित होती है। क्षेत्र के प्रमुख दल चुनाव में मतदाताओं की चोट से बचने के लिए इन दिनों मौन का सहारा भी ले रहे हैं। उनकी चुप्पी में ही राज (सत्ता) हासिल करने की चाबी छुपी हुई है। उन्हें इस बात का डर है कि मौन टूटने पर कहीं उनकी उम्मीदों का महल न ढह जाये।
सीएम के नाम को लेकर भाजपा की तरह इनेलो में भी तस्वीर स्पष्ट नहीं है। जेल में शपथ दिलाने जैसी बातें हो रही है, परंतु ये जमीनी सचाई से मुंह मोड़ना जैसा ही है। ऐसा नहीं है कि सीएम उम्मीदवार का नाम घोषित करना इन दलों की बाध्यता है, लेकिन यदि सीएम के नाम की घोषणा कर दी गई तो राजनीतिक नुकसान का डर प्रमुख दलों को सता रहा है।
कांग्रेस ने यूं तो मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का चेहरा आगे किया हुआ है, परंतु रेवाड़ी से लेकर भिवानी तक कई प्रमुख कांग्रेसी नेता ऐसे हैं, जो चौधर के नारे के सहारे समर्थन हासिल करने में जुटे हैं। रेवाड़ी में कैप्टन यादव भी मतदाताओं को ये बात समझा रहे हैं कि लगातार सातवीं जीत उन्हें सीएम की कुर्सी पर नहीं तो सीएम की कुर्सी के इतना निकट अवश्य पहुंचा सकती है कि आठवीं बार किसी दूसरे के नाम पर पार्टी हाईकमान विचार ही न करे। ऐसी स्थिति में यदि कांग्रेस किसी एक नाम को सीएम पद के उम्मीदवार के लिए घोषित कर दे तो उसी समय कई नेताओं की चौधर की लड़ाई कमजोर पड़ जायेगी। कांग्रेस की तरह भाजपा में भी राव इंद्रजीत जैसे नेता समर्थकों को जीत दिलाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में दिखा रहे हैं। हालांकि ये काम खुद की बजाय उनके समर्थक कर रहे हैं। भाजपा में रामबिलास शर्मा, मनोहर लाल खट्टर, ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु सहित कई अन्य नेता भी खुद को अप्रत्यक्ष रूप से सीएम पद का दावेदार बताकर अपने व अपने समर्थकों के लिए वोट मांग रहे हैं। एक दल दूसरे दल को सीएम का नाम बताने की चुनौति दे रहा है, लेकिन सभी जानते हैं कि इस चुनौती का जवाब नहीं आयेगा। सीएम के नाम की चुनाव पूर्व घोषणा के अलावा दक्षिण हरियाणा की पानी की समस्या से जुड़े कुछ सवाल ऐसे हैं, जिनका स्पष्ट जवाब देने की बजाय राजनीतिक दल गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
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इनसेट:
ये हैं सवाल, छुपा रखे हैं जवाब
-सत्ता मिलने पर भाजपा किसे मुख्यमंत्री बनायेगी?
-कांग्रेस व इनेलो का मुख्यमंत्री कौन होगा?
-सीटें कम रहने पर क्या भाजपा इनेलो का साथ लेगी?
-सीटें कम रहने पर क्या इनेलो को भाजपा का साथ मिलेगा?
-पोस्ट पोल एलायंस होने की सूरत में इनेलो व भाजपा के बीच सीएम की कुर्सी का फैसला कैसे होगा। मामला फिफ्टी-फिफ्टी का होगा तो पहले सीएम कौन बनेगा?
-क्या कुछ सीटें कम रहने पर सत्ता के लिए कांग्रेस भी हजकां व दूसरे दलों की मदद लेगी?
-एसवाईएल का पानी लाने का वादा सभी दलों का है, लेकिन क्या कोई बतायेगा कि किस तरह पानी पहुंचाया जायेगा?
-हांसी-बुटाना नहर में पानी किस तरह लाया जायेगा? क्या कोई दल इस बारे में अपनी स्कीम बतायेगा?