रामलीला--तकनीकी व्यवस्था है मंच की विशेषता
नाम: श्रीराम रेलवे ड्रामेटिक क्लब स्थान : नजदीक रेलवे ग्राउंड, रेलवे कालोनी फोटो संख्या : 3,4,5,
नाम: श्रीराम रेलवे ड्रामेटिक क्लब
स्थान : नजदीक रेलवे ग्राउंड, रेलवे कालोनी
फोटो संख्या : 3,4,5, 6
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : रेलवे कालोनी में श्रीराम रेलवे ड्रामेटिक क्लब पिछले 53 वर्षो से लगातार रामलीला का मंचन करता आ रहा है। इस रामलीला की खास बात यहां की तकनीकी व्यवस्था है, जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है।
इतिहास
1961 में स्थापित यह रामलीला शहर की पुरानी समितियों में से एक है। स्व. केएल वर्मा द्वारा स्थापित इस रामलीला को समय के बदलाव के साथ काफी आधुनिक बनता जा रहा है। अब इसकी बागडोर उनके पुत्र केके सक्सेना संभाले हैं। यहां की रामलीला देखने के लिए मंत्री से लेकर विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों तक को खींचती है।
कार्यक्रम :
रात 9:30 बजे से 12:30 बजे तक।
29 सितंबर- राम-सीता संवाद, रावण-हनुमान संवाद व लंका दहन।
30 सितंबर- रावण-अंगद संवाद व लक्ष्मण मूर्छा।
1 अक्टूबर- सामाजिक व हास्य नाटिका तहजीब।
2 अक्टूबर- कुंभकरण वध, मेघनाथ वध व अहिरावण वध।
3 अक्टूबर- रावण वध, राजतिलक व पुरस्कार वितरण।
4 अक्टूबर- प्रात: 10 बजे हवन।
आकर्षण :
रामलीला में मुख्य आकर्षण का केंद्र हनुमान जी का आकाश मार्ग से आने का दृश्य है। इसके अलावा एक अक्टूबर को होने वाले तहजीब विषय पर आधारित सामाजिक नाटक का मंचन होगा। हर साल अलग विषय पर नाटक का मंचन किया जाता है। तकनीकी व्यवस्था अच्छी है, जो चरित्रों में जान डाल देती है।
अवकाश लेकर करते हैं मंचन
65 कलाकार रामलीला में भाग लेते हैं। इसमें ज्यादातर कलाकार स्थानीय निवासी हैं। रामलीला में भाग लेने वाले कलाकार नौकरी से छुट्टियां लेकर रामलीला में भाग लेते हैं। एक के बाद एक आकर्षण मंचन दर्शकों को लुभाते हैं। क्लब के पास खुद का भवन है वहीं पर कलाकार अभ्यास करते हैं।
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'आज के टीवी युग में क्लब की यही कोशिश रहती है कि नई पीढ़ी को रामायण के बारे में ज्ञान मिल सके। रामायण में बताई गई बातों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करें।'
-केके सक्सेना, सचिव।
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'मै पिछले 30 वर्षो से इस क्लब में कार्य कर रहा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि मुझे अपने जीवन में उपलब्धि राम सेवा के कारण ही मिल पाई है। सभी लोग रामायण की बताई गई बातों को अपने जीवन उतारें।'
-उमेश शर्मा, कोषाध्यक्ष।
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'मै जब इस क्लब में आया था तो हमारे पास केवल कुछ ही साउंड उपकरण हुआ करते थे, परंतु अब हमारे पास आधुनिक व तकनीकी उपकरण है, ताकि रामलीला मंचन को और प्रभावी बनाया जा सके।'
-दयानंद सैनी, साउंड निदेशक।