व्यापारी बनते हैं राम और सीता
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श्री शिव रामलीला समिति:
स्थान: नई अनाज मंडी।
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नई अनाज मंडी की रामलीला में व्यापारियों के सहयोग से मंचन किया जाता है। जिसमें अश्लीलता को कोई जगह नहीं दी जाती।
इतिहास:
वर्ष 1981 से नई अनाज मंडी व्यापार मंडल की ओर से रामलीला का मंचन शुरू किया गया था। फूहड़ता को दूर रखते हुए सात्विक रामलीला का मंचन करने के उद्देश्य से शुरू की गई यह परपरा आज भी कायम है। रामलीला का मंचन नई अनाज मंडी में ही किया जाता है।
कार्यक्रम :
27 सितंबर- राम बनवास।
28 सितंबर- चित्रकूट भरत मिलाप।
29 सितंबर- सीता हरण, सुग्रीव मित्रता।
30 सितंबर- लंका दहन।
1 अक्टूबर- रावण अंगद संवाद।
2 अक्टूबर- लक्ष्मण मूर्छित।
3 अक्टूबर- रावण वध।
4 अक्टूबर- राजतिलक।
आकर्षण:
रामलीला में ज्यादातर स्थानीय कलाकार शामिल होते हैं। शहर के व्यापारी दिनभर अपना व्यवसाय करने के बाद रात को रामलीला के कलाकारों की भूमिका निभाते हैं। यहां हर साल सोनू चक्रधारी व फिल्म कलाकार जूनियर महमूद समय-समय पर दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। धार्मिक कार्यक्रमों के साथ साथ देशभक्ति गीत व नृत्यकला में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कार्यक्रम में चौपाइयों पर आधारित संवाद आकर्षण का केंद्र होते हैं। आयोजकों का कहना है कि लगभग दो से तीन हजार दर्शक रामलीला देखने के लिए आते हैं।
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दिन में व्यापार व रात में कलाकार
इस बार की रामलीला में भी 55 कलाकार भाग ले रहे हैं। कलाकार चरित्र को सजीवता से निभाने के लिए खूब मेहनत करता है। बारीकियों को ध्यान में रखकर चरित्र को निभाया जाता है, जिससे रामलीला में चरित्र उभर कर सामने आता है। ज्यादातर रामलीला में भाग लेने वाले कलाकार स्थानीय निवासी हैं।
रामलीला की कार्यकारिणी:
'रामलीला में श्लोक व गीत चरित्र को ओर निखार देते हैं। रामलीला में भाग लेने वाले कलाकार अपने चरित्र में जान डालने के लिए खूब मेहनत करते हैं।'
राजेश कुमार, उप-प्रधान।
'पिछले 33 सालों से यहां रामलीला का मंचन हो रहा है। दर्शकों की अच्छी भीड़ रहती है। कलाकार बखूबी अपने चरित्र को निभाते हैं। एक दूसरे के सहयोग से रामलीला को सफल बनाया जाता है।
दीपक मंगला, कोषाध्यक्ष।
'रामायण में हमें बड़ों की सेवा, मर्यादा, धैर्य से परिस्थितियों का सामना करने की सीख मिलती है। सभी को रामायण में बताई गई बातों पर अमल करना चाहिए।
भूपेंद्र गुप्ता, मंच प्रबंधक।