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राष्ट्रीयता के अग्रदूत को किया नमन

By Edited By: Published: Fri, 19 Sep 2014 01:04 AM (IST)Updated: Fri, 19 Sep 2014 01:04 AM (IST)
राष्ट्रीयता के अग्रदूत को किया नमन

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी :

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जिले के गाव गुडि़यानी में जन्मे यशस्वी साहित्यकार एवं मूर्धन्य पत्रकार स्व बाबू बाल मुकुंद गुप्त की 107वीं पुण्यतिथि के अवसर पर बृहस्पतिवार को मीरपुर स्थित इदिरा गाधी विश्वविद्यालय में 'बाबू बाल मुकुंद गुप्त स्मृति-समारोह' का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रीयता के अग्रदूत का विचार-गोष्ठी के माध्यम से भावपूर्ण स्मरण किया गया। हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला तथा बाबू बाल मुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद् रेवाड़ी के संयुक्त तलवावधान में पुस्तक लोकार्पण, विचार-गोष्ठी तथा बाबू बालमुकुंद गुप्त पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहे।

विश्वविद्यालय के कुलपति महेन्द्र कुमार के मुख्य अतिथ्य में आयोजित समारोह की अध्यक्षता हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी सम्मान-समिति के अध्यक्ष हरिराम आर्य ने की। गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार विजय सहगल एवं हरियाणा साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डा. चन्द्र त्रिखा ने बतौर मुख्य वक्ता कार्यक्रम को संबोधित किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि देशभक्त कलमकार बाबू बाल मुकुंद गुप्त ने देश के गुलामी के दिनों में कलम के माध्यम से एक ओर जहा आजादी की अलख जगाई वहीं दूसरी ओर पत्रकारिता के क्षेत्र में उच्च आदर्श स्थापित किये।

गोष्ठी में अकादमी के पूर्व निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डा. चन्द्र त्रिखा ने राष्ट्रीय सरोकारों से जुड़ी गुप्तजी की लेखनी को हर कलमकार के लिए प्रेरणापुंज बताया। वरिष्ठ पत्रकार एवं कथाकार विजय सहगल ने कहा कि हिदी साहित्य, भाषा तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में गुप्तजी का योगदान अतुलनीय व आज भी प्रेरक एवं प्रासंगिक है। गीतकार विपिन सुनेजा तथा संस्कृति लेखक राजेश चुघ ने अपनी प्रस्तुतिया दी। विवि के हिदी विभाग की अध्यक्षा प्रो. माया मलिक की देखरेख में छात्र प्रदीप कुमार, मीरा, सोनम व नीरू ने विभिन्न प्रभार संभाले।

संगीतकार ईश्वरसिंह यादव के निर्देशन में डा. हरिप्रकाश तथा अजय शर्मा द्वारा प्रस्तुत की स्वराजलि से प्रारभ हुये आयोजन में परिषद् के अध्यक्ष श्यामसुंदर सिंहल ने अतिथियों का स्वागत किया वहीं संरक्षक नरेश चौहान एडवोकेट ने परिषद् की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में परिषद् द्वारा विवि में बाबू बाल मुकुंद गुप्त पीठ स्थापित करने की माग रखी गयी। आयोजन समिति की ओर से डा. प्रवीण खुराना, श्यामबाबू गुप्त ने अतिथियों को सम्मानित किया। समारोह में हिसार के वरिष्ठ रचनाकार डा. रामनिवास मानव के आईपीएस पुत्र मनुमुक्त मानव के असामयिक निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजलि अर्पित की। साहित्यकार सत्यवीर नाहडि़या के संचालन में आयोजित समारोह में डा. तारा सक्सेना, कृष्णलता यादव, प्रो रमेशचन्द्र शर्मा, दर्शना शर्मा, ऋषि सिंहल, महाशय भीमसिंह, महाशय केदार, दलबीर पूल, अहमना भारद्वाज, प्राचार्य हजारीलाल, राजेन्द्र निगम, परमानंद वसु, डा. संतलाल देसवाल, प्रो. ओपी गर्ग, डा. विजय इन्दु, राजकुमार, सत्यपाल चौहान, डा. एसएन सक्सेना, अशोक प्रधान, श्रीपति शेखावत, उग्रसेन अग्रवाल, विजया चौहान, मुकुट अग्रवाल, मनीष राव, योगेश कौशिक विवि के हिदी विभाग के विद्यार्थी व स्टाफ मौजूद रहे।

इन्हें मिला सम्मान

कार्यक्रम मे वर्ष 2013 के लिए साहित्य के क्षेत्र में हिदी गज़लकार विपिन सुनेजा शायक (रेवाड़ी) तथा साहित्यिक पत्रकारिता के लिए संस्कृति लेखक राजेश चुघ (हिसार) को बाबू बालमुकंद गुप्त पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 2014 के लिए उक्त पुरस्कार केन्द्रीय विवि पाली के हिदी विभाग के सहायक प्रोफेसर व शोध पत्रिका रेतपथ के संपादक डा. अमित 'मनोज' को प्रदान किया गया। समारोह में संत बिशंभरदयाल साहित्य अकादमी खुड्डन धाम द्वारा डा. प्रवीन खुराना (झज्जर) को मास्टर बख्तावर सिंह बख्त पत्रकारिता पुरस्कार तथा वरिष्ठ साहित्यकार डा. चन्द्र त्रिखा को श्रीमती शाति देवी चौहान स्मृति सम्मान से अलंकृत किया गया।

समारोह में शोध एवं साहित्य की राष्ट्रीय पत्रिका 'बाबूजी का भारतमित्र' के अलावा दोहाकार रघुविंद्र यादव की नवप्रकाशित कृतियों वक्त करेगा फैसला, मुझमें संत कबीर, बोलता आईना, वरिष्ठ साहित्यकार रोहित यादव की चार पुस्तकों जीवजगत के दोहे, देते है शेष गवाही, दोहा-दोहा वनस्पति, डा. रामनिवास 'मानव' की प्रतिनिधि लघु कथाएं, सत्यवीर नाहडि़या की कृति एक बख़त था, कथाकार-कवि रमेश सिद्धार्थ की गजलों की आडियो सीडी कहकशा, शीला काकस की पुस्तक जागो बहनों जागो, शमशेर कोसलिया 'नरेश' की प्रेरणा के बोल, भरपूर सिंह की नारी रूप अनेका, प्रताप शास्त्री की स्वास्थ्य की उपाय तथा दोसा (राजस्थान) के साहित्यकार राजेन्द्र यादव आजाद के लघुकथा संग्रह उम्रकैद का लोकार्पण किया गया।


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