बाटम : पानी के लिए सुबह से ही लग जाती है कतार
-सुध ही नहीं:
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फोटो संख्या-23,24,25,26 व 27
-भूमिगत पानी खारा होने से बोलनी में पेयजल संकट
- गांव के दो हैंडपंप ही देते हैं मीठा पानी
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : बावल विधानसभा क्षेत्र का बड़ा गांव गढ़ी बोलनी पेयजल संकट से जूझ रहा है। हालात यह हैं कि भूमिगत पानी खारा होने तथा जन स्वास्थ्य विभाग के बूस्टिंग स्टेशन की मोटर कई दिनों से खराब होने से ग्रामीण पेयजल के लिए तरस रहे हैं। आरोप है कि शिकायतों के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
साढ़े 3 हजार की आबादी वाला राजस्थान सीमा पर बसा गढ़ी बोलनी गांव बावल विधानसभा क्षेत्र में काफी अहमियत रखता है, लेकिन गांव की समस्याओं को लेकर न तो प्रशासन गंभीर है और न नेता। गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए स्कूल के समीप बूस्टिंग स्टेशन है, जिनके नलकूप लगातार गिरते जलस्तर की वजह से जवाब दे चुके हैं और अब एकमात्र नलकूप के सहारे ही पेयजल आपूर्ति की जा रही है। कम समय पानी आने के कारण पेयजल के लिए लोग पूरी तरह से हैंडपंपों पर आश्रित हैं, लेकिन यह आश्रय भी केवल दो ही हैंडपंपों पर है।
कोटकासिम रोड पर पंचायत की तरफ से लगवाए गए इन हैंडपंपों का पानी मीठा है, जबकि शेष गांव में भूमिगत पानी खारा है। इसकी वजह से सुबह गांव के इन दोनों हैंडपंपों में पानी लेने के लिए आने वाली महिलाओं की कतार लग जाती है। पंचायत की तरफ से इन हैंडपंपों का रखरखाव किया जाता है लेकिन अधिक भीड़ की वजह से ये भी अक्सर खराब हो जाते हैं।
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'गांव में भूमिगत पानी खारा है। इनके बदले प्रशासन की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं का जा रही है। हालात यह है कि पानी के टैंकर मंगाने पड़ते हैं।'
-कृष्ण कुमार।
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'गांव में काफी समय से नहरी पानी पर आधारित परियोजना की मांग की जा रही है, लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ है। पानी खारा होने तथा जन स्वास्थ्य विभाग के नलकूप आए दिन खराब होने से काफी परेशानी होती है। महिलाओं का पूरा दिन पानी की व्यवस्था में ही गुजर जाता है।'
-नरेश कुमार।
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'गांव में इतना अधिक पेयजल संकट है कि खुशखेड़ा से मीठे पानी के टैंकर मंगाने पड़ रहे हैं। जन स्वास्थ्य विभाग पेयजल आपूर्ति में सुधार के लिए कुछ नहीं कर रहा है। हालात यह हैं कि शिकायतों के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है।'
-रामसिंह।
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'भूमिगत पानी खारा है। जिसके कारण पूरे गांव की महिलाओं को बस स्टैंड स्थित हैंडपंप पर आना पड़ता है। पेयजल संकट का कोई समाधान नहीं हो रहा है।'
-सूबेसिंह।