बाटम : बावल को नहरी पानी का इंतजार
बड़ा मुद्दा:
फोटो संख्या-14, 15, 16, 17 व 18
-पानी के अभाव में सूख चुकी हैं अधिकांश नहरें, किसानों को खाली छोड़ने पड़ते हैं खेत
मनीष कुमार, बावल: नहरी पानी के असमान बंटवारे को लेकर जहां राज्य स्तर पर दक्षिण हरियाणा भेदभाव का शिकार है तो जिले में भी बावल खंड के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। बावल खंड की अधिकांश नहरों में पिछले कई वर्षो से पानी नहीं आया है। बुजुर्गो का कहना है कि वर्षो पहले कभी इन नहरों में पानी के दर्शन हुए थे।
बावल विधानसभा क्षेत्र में शामिल खंड खोल में तो कुछ जगहों पर भूमिगत जलस्तर सैकडों फीट तक पहुंच चुका हैं। कई गांवों में तो हालात यह है कि पीने के पानी का भी इतना संकट है कि टैंकर मंगाकर काम चलाना पड़ता है। दिल्ली-जयपुर राजमार्ग से लगते गांवों में भूमिगत पानी खारा है जिसका समाधान केवल नहरी पानी है। इसी तरह कुंड तथा आसपास के गांवों में जलस्तर इतना नीचे जा चुका है कि वहां पर भूमिगत बोरवेल करना ही मुश्किल हो गया है। बावल विधानसभा क्षेत्र के लोगों को नहरी पानी में भेदभाव का शिकार लंबे समय से होना पड़ रहा है और इस चुनाव में नहरी पानी फिर से बड़ा मुद्दा बन गया है। कई गांवों में तो हालात यह है कि वहां पर नहर तो बन गई है लेकिन पानी आज तक नहीं आया है। इसको लेकर ग्रामीण हर स्तर पर अपनी शिकायत दर्ज करा चुके हैं लेकिन समाधान के नाम सिवाय आश्वासन से आगे कदम नहीं बढ़ पाएं।
खाली रह जाते हैं खेत
बावल विस क्षेत्र में नहरी पानी नहीं मिलने के कारण गर्मियों के दिनों में खरीफ की फसल में बारिश नहीं होने की स्थिति में किसानों को अपने खेत खाली छोड़ने पड़ते हैं। इस बार भी खोल खंड के किसानों को यही करना पड़ा क्योंकि जुलाई माह मे कम बारिश की वजह से वे बिजाई नहीं कर पाएं।
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'हमारे गांव से गुजर रही है अकबरपुर डिस्ट्रीब्यूटरी में चार दशक पहले बनी थी, लेकिन इसमें पानी ही नहीं आया। शिकायतें भी की गई लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ है। बावल क्षेत्र के साथ नहरी पानी में हमेशा से ही भेदभाव हुआ है।'
-रतीराम।
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'नहरी पानी नहीं आने की वजह से खेती पूरी तरह से भूमिगत नलकूपों से करते हैं। जलस्तर इतना अधिक गिर चुका हैं कि एक नलकूप लगाने में ही लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। नहरी पानी के अलावा इसका कोई उपाय नहीं है।'
-सतीश कुमार।
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'पीने के पानी के लिए नलकूप ही एकमात्र सहारा रह गया है लेकिन लगातार गिरते जलस्तर की वजह से अधिकांश नलकूप फेल हो चुके हैं। गर्मियों के दिनों में भीषण पेयजल संकट झेलना पड़ता है।'
-धर्मवीर।
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'नहरी पानी में हमेशा बावल की अनदेखी हुई है जिसकी वजह से अधिकांश नहरें सुखी पड़ी है। बारिश कम होने की स्थिति में खेतों को खाली छोड़ना पड़ता है।'
-उमराव सिंह।