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दस गायों से डेयरी शुरू कर किसान बना रहा है प्रतिदिन पांच कुंतल रसगुल्ले

By Edited By: Published: Fri, 22 Aug 2014 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 22 Aug 2014 06:54 PM (IST)
दस गायों से डेयरी शुरू कर  किसान बना रहा है प्रतिदिन पांच  कुंतल रसगुल्ले

व्यापार:

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-हरियाणा के अलावा राजस्थान में भी होती है रसगुल्ले की आपूर्ति

हरियाणा राज्य स्तरीय पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया

फोटो: 22 एनएआर-11, 12 व 13

जागरण संवाददाता,नारनौल :

इंसान अगर अपनी सोच को विस्तृत रूप दे तो वह वह न सिर्फ स्वयं का जीविकोपार्जन का सहारा ढूंढ लेता है, बल्कि दूसरों के भी रोजगार का माध्यम बन जाता है। एक कि सान भी पढे़ लिखों को रोजगार देने में सक्षम है यह सुनने में अटपटा जरूर लगता है किंतु इसे हकीकत में बदलने का काम जिला महेद्रगढ़ के कनीना प्रखंड के ढ़ाणा गाव के अजीत सिंह ने कर दिखाया है। जिसने अपनी बुद्धिबल से वो मिसाल कायम कर दी है जिसकी मुक्तकंठ से प्रशसा की जाती है। दो वर्ष पूर्व दस गायों से डेयरी का काम शुरू करने वाला किसान आज पांच कुंतल रसगुल्ले प्रतिदिन बना रहा है।

अजीत ने अपने कुएं पर डेयरी के लिए विदेशी नस्ल की गायें पालकर न केवल दूध के विभिन्न उत्पाद बनाकर विवाह शादियों एवं पार्टियों में पहुचाने शुरू किए, बल्कि कई लोगों को रोजगार प्रदान किया है। उनके रसगुल्ले दूर दराज तक प्रसिद्ध है।

नलकूप पर आठ एकड़ जमीन है। वहीं पर दो वर्ष पूर्व दस गायों से डेयरी का काम शुरू किया। दूध के भाव क्या गिरे उन्होंने गाय के दूध से रसगुल्ले बनाने का निश्चय किया और देखते ही देखते बेहतर रसगुल्ले बनाकर नाम कमाया। इस समय वह पाच कुंतल रसगुल्ले प्रतिदिन तैयार करते हैं। इसके लिए पाच कुंतल दूध की प्रतिदिन आवश्यकता होती है ऐसे में वे बाहर से दूध मंगवा रहे है। उन्होंने बताया कि भिवानी, महेद्रगढ़, रेवाड़ी तथा हरियाणा से सटे राजस्थान के कुछ भागों में वे रसगुल्ले आपूर्ति कर रहे है।

बीकानेर के राजपुरोहित बनाते हैं रसगुल्ले

रसगुल्ले का कारोबार में तेजी आने पर बीकानेर से सात राजपुरोहित बुलवाकर उनसे न केवल रसगुल्ले अपितु दूध से बने कई अन्य पदार्थ व बाजार में बिकने वाली खाद्य वस्तुएं भी उनसे बनवाना शुरू कर दिया।

बायोगैस संयंत्र भी लगवाया

रसगुल्लों के लिए बिजली की आपूर्ति की जरूरत समझी। गावों में बिजली कम आने के कारण और रसगुल्लों को फ्रिज में रखने के लिए उन्हे ऊर्जा की जरूरत समझी। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए दो बायोगैस संयंत्र लगवा दिए। अजीत सिंह ने बताया कि इस साढे़ सात किलोवाट के जनरेटर की एयर क्लिनर की नली में एक नलकी द्वारा बायो गैस की सप्लाई जोड़ दी है जिसके चलते जनरेटर करीब 80 फीसद गैस के प्रयोग से बिजली मिलती है। प्रतिदिन चार से छह घटों तक गैस से जनरेटर चलता है। पूरे हरियाणा के किसान उनके कृषि पर आधारित बेहतर कार्यो को देखने के लिए आते है।

सर्वश्रेष्ठ किसान के सम्मान से सम्मानित

कनीना खंड स्तर पर सर्वश्रेष्ठ किसान का सम्मान पाने के बाद जिला स्तर पर सर्वश्रेष्ठ किसान का पुरस्कार मिलने के साथ ही हरियाणा राज्य स्तरीय पुरस्कार 51 हजार रुपये एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया। कनीना में दस किसान उनका अनुकरण कर जीवन जी रहे है। खाद्य सुरक्षा मानक 2006 के तहत लाइसेंस प्राप्त किसान अजीत सिंह ढ़ाणा ने स्नातक की पढ़ाई की है।


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