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लीड: नगर परिषद प्रधान भ्रष्टाचार के आरेापें में फिर निलंबित

By Edited By: Published: Wed, 20 Aug 2014 06:29 PM (IST)Updated: Wed, 20 Aug 2014 06:29 PM (IST)
लीड: नगर परिषद प्रधान भ्रष्टाचार के आरेापें में फिर निलंबित

सबहेड-निदेशक ने की नियमित जांच अधिकारी की नियुक्ति की सिफारिश

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- जांच पूरी होने तक राजेंद्र यादव बने रहेंगे कार्यकारी प्रधान

-निदेशक ने माना दोषी, जांच पूर्ण होने तक रहेंगी निलंबित

फोटो: 20एनएआर- 20, 21 व 22

जागरण संवाददाता, नारनौल :

शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक विकास गुप्ता ने एक बार फिर से नगर परिषद (नप) की प्रधान अजंना अग्रवाल को उन पर लगाए गए आरोपों की जांच होने तक निलंबित कर दिया है। साथ ही उन्होंने प्रधान पर लगे आरोपों की जांच के लिए सहायक कमिश्नर के पद के समकक्ष अधिकारी को नियमित जांच अधिकारी नियुक्त करने की सिफारिश भी सरकार से की है।

इस आशय का एक पत्र बुधवार सुबह जिला प्रशासन को मिल गया है। इस पत्र के मिलने के बाद जिला उपायुक्त ने तुरंत कार्रवाई करते हुए परिषद के कार्यकारी अधिकारी को प्रति भेजकर कार्रवाई के लिए आदेश जारी किए। इस दौरान नगर परिषद का कार्यभार उप प्रधान राजेंद्र सिंह बिल्लु संभालेंगे।

20 का आंकड़ा हुआ अशुभ

20 का आंकड़ा एक बार फिर नगर परिषद प्रधान अंजना अग्रवाल के लिए अशुभ साबित हुआ। 20 अगस्त को सुबह ही उपायुक्त कार्यालय द्वारा नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी को निदेशक, शहरी स्थानीय निकाय विकास गुप्ता के आदेशों की प्रति भेजी गई, जिसमें प्रधान को जांच पूरी होने तक निलंबित करने के आदेश जारी किए गए थे। इससे पूर्व भी निदेशक ने 20 जून को प्रधान को निलंबित करने के आदेश जारी किए थे।

निदेशक के आदेशों के खिलाफ अंजना अग्रवाल ने शहरी निकाय विभाग के अतिरिक्त प्रधान सचिव के यहां अपील की थी, जिसमें कहा गया था कि उन्हें अभी तक आरोप पत्र की कापी नहीं दी गई है। इस पर अतिरिक्त प्रधान सचिव ने 18 जुलाई को जारी अपने आदेश में निदेशक के आदेश को रद करते हुए उन्हें इस मामले में फिर से प्रधान का पक्ष सुनने के आदेश जारी किए थे। इस पर 28 जुलाई को प्रधान अंजना अग्रवाल ने अपने वकील के साथ उनके समक्ष अपना पक्ष रखा।

इसके अलावा नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी व दीपचंद सोनी के वकील ने भी अपना पक्ष रखा। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को हुई। इस दौरान प्रधान अंजना अग्रवाल ने अपने उपर लगे आरोपों को गलत बताते हुए उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस को वापस लेने की मांग की।

शिकायतकर्ता दीपचंद सोनी के वकील ने कहा कि प्रधान ने धारा 35 का दुरूपयोग किया है और उन्होंने उसके तहत वो कार्य कराए जो धारा-35 के तहत नहीं कराए जा सकते हैं।

निदेशक विकास गुप्ता ने अपने निर्णय में कहा कि प्रधान अंजना अग्रवाल ने धारा-35 के तहत अपनी आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए कई विकास कार्य कराए हैं, जिनके लिए सदन से भी मंजूरी नहीं ली गई। साथ ही उन्होंने केवल अपने हस्ताक्षर द्वारा अपने पति के नाम पर एनओसी जारी की है, जिस पर किसी भी नगर परिषद अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं, जिससे स्पष्ट है कि प्रधान अंजना अग्रवाल द्वारा अपने कार्य अनियमितताएं बरती गई हैं।

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ये है प्रधान पर आरोप

वर्ष 2013 के मध्य से लेकर अंत तक 500 से अधिक विकास कार्य विशेषाधिकार अधिनियम की धारा-35 में कराए गए। इस दौरान एक भी काम का टेंडर से नहीं कराया गया। जबकि धारा-35 की शक्ति का प्रयोग केवल आपातकालीन परिस्थितियों में ही किया जा सकता है।

-27 फरवरी 2013 को दो चेक बनाकर उनकी राशी बदलने की गडबड़ी की गई।

-जून 2013 में एक कार्य के लिए दो बार अदायगी कर दी गई। पहले दो चेक 6 जून को जारी किए गए। इसके बाद 31 मई 2013 की पुरानी तिथि डालकर 710448 रुपये के चेक बनाकर फिर भुगतान कर दिया गया। मामला खुला तो ठेकेदार ने 22 जून को पूरी राशी नप के खाते में जमा करवा दी।

-व्यक्तिगत यात्रा करने में प्रधान पति ने नगर परिषद की सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग किया।

-नगर परिषद के लिए सामान की खरीद फरोद किसी अधिकृत फर्म से ना करवाकर गैर अधिकृत फर्म से की गई।

-प्रधान ने बिना किसी अन्य अधिकारी की रिपोर्ट के स्वयं अपने हस्ताक्षर से एक एनओसी जारी कर दी, जिसमें खरीददार स्वयं प्रधान का पति है।

-धारा 35 के तहत कराए गए कार्य निमन् गुणवता के है। नई बस्ती में बनाई गई एक सड़क 22 दिन के अंदर ही धंस गई।


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