लीड..आईजीयू की नौकरियों में आरक्षण की मांग
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के लिए 100 एकड़ जमीन देने वाले मीरपुर गांव ने विश्वविद्यालय की नौकरियों में गांव के युवाओं के लिए दस फीसद आरक्षण की मांग रख दी है। इस मांग को लेकर लामबंद हुए ग्रामीणों ने सोमवार को कुलपति कार्यालय पहुंचकर इस आशय का एक ज्ञापन भी सौंपा। साथ ही विवि में चल रही भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए तथा अधिकारियों पर रेवाड़ी की बजाय रोहतक जिले पर मेहरबान होने का आरोप भी जड़ा।
कुलपति को ज्ञापन सौंपने से पहले ग्रामीणों कैंपस में ही पंचायत कीऔर एक मत से गांव को जमीन के बदले आरक्षण के हक का प्रस्ताव पारित किया। पंचायत में इस बात पर आपत्ति जताई गई कि विश्वविद्यालय में अधिकांश भर्ती रोहतक के लोगों की की जा रही है। पंचायत में ग्रामीणों ने यह भी तय किया कि जब तक नौकरियों में यहां के युवकों को दस प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलेगा, ग्रामीण चुप नहीं बैठेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि जब गांव ने रीजनल सेंटर के लिए 100 एकड़ जमीन दी थी, तब यही सोचा था कि यहां के युवकों को रोजगार मिलेगा। गांव को विश्वविद्यालय का तोहफा मिलेगा। विश्वविद्यालय तो बन गया, लेकिन गांव के युवकों को चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां भी नहीं दी जा रही हैं। कुलपति मोहिंद्र कुमार को ज्ञापन देने गए लोगों में पूर्व सरपंच कंवर सिंह यादव, पूर्व सरपंच अशोक यादव, मास्टर उदय राज व विजय सिंह आदि शामिल थे।
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प्रवेश से वंचित छात्रों ने किया हंगामा
ग्रामीणों के विरोध के अलावा सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में उन विद्यार्थियों ने भी भारी हंगामा किया, जिन्हें सीटों की संख्या कम होने के कारण प्रवेश नहीं मिल पाया। हंगामा कर रहे छात्रों ने सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग की। अधिकांश विद्यार्थी कामर्स व मैथ की पीजी कक्षाओं से संबंधित थे। विश्वविद्यालय में मैथ व कामर्स की केवल 60-60 सीटें है। जिन छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाया, उन्होंने पिछले वर्ष की तरह इस बार भी सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग की।
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मीरपुर के ग्रामीणों का पूरा सम्मान है, लेकिन नौकरियों के मामले में सभी आरोप निराधार है। ग्रामीण खुद के लिए आरक्षण चाह रहे हैं। आरक्षण न दे पाने के कारण ही वे भर्ती प्रक्रिया की आलोचना कर रहे हैं। हम उनकी भावनाओं से सरकार को अवगत करवा देंगे। भर्ती प्रक्रिया अभी पूरी ही नहीं हुई है। निरर्थक आरोप लगाकर विवि की छवि खराब न करें। जहां तक छात्रों के हंगामे की बात है, हमने उनकी बात सुनी है। हमारे यहां कामर्स व मैथ में जितनी सीटें थी, आवेदक उससे अधिक है। एक अनार सौ बीमार की स्थिति के कारण ही उनमें निराशा है। हम विद्यार्थियों की भावनाओं से सरकार को अवगत करा देंगे, परंतु हंगामा किसी बात का समाधान नहीं है।
-मोहिंद्र कुमार, कुलपति।