ओम नम: शिवाय: प्रकृति एवं संस्कृति के पक्षधर हैं शिव
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जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : दैनिक जागरण में ओम नम: शिवाय की रचनात्मक श्रृंखला अनायास आकर्षित करती है, क्योंकि शिव प्रकृति एवं संस्कृति के पक्षधर, पोषक एवं सजग प्रहरी है। हमारी समग्र लोक संस्कृति शिवमय है। शिव हमारे लोकजीवन में रचे बचे है। शिव हमारी लोक परंपराओं के केंद्र है, लोक विश्वास है, लोक आस्था है तथा हमारी समृद्ध सास्कृतिक विरासत के चप्पे-चप्पे में समाहित है। हमारे समूचे साहित्य की बुनियाद कहे जाने वाले लोक साहित्य में भी सत्यं, शिवं, सुंदरम की महत्ता परिलक्षित होती है। शिव की अलौकिक भावभूमि से जुड़े त्रिशूल, डमरू, धनुष, परऊसा, नंदी, रस्सी, माला, सर्प, गंगा, नृत्यकला, ताडव, लास्य, पर्वत, पार्वती, गणेश आदि सभी प्रकृति एवं संस्कृति के अनूठे समन्वय के प्रेरक पक्ष हैं। शिव कल्याण के पर्याय व संवाहक है। शिव चैतन्यता के संचारी भाव के प्रेरक एवं संरक्षक है। ब्रह्म, विष्णु, महेश की त्रिवेणी में वे भले विनाश के संहारक हों किंतु हमारी अंतर्चेतना के कल्याणी स्वरूप के संकल्प को मुखरित करने वाले शिव भोले ही है। हर के प्रदेश के रूप में लब्ध प्रतिष्ठ वीरभूमि हरियाणा की पहचान देश और दुनिया में भले स्वर्णिम सैनिक इतिहास, खेलों की महाशक्ति तथा हरियाले प्रदेश के रूप में हो किंतु जब इसके धार्मिक एवं सास्कृतिक पक्षों का सूक्ष्म अध्ययन करते है तो एक पहलू साफ तौर पर उभरकर आता है कि इस प्रदेश के कण-कण में देवों के महादेव शिव समाये हे। इस वीर प्रसविनी धरा के चप्पे-चप्पे में शिवत्व समाहित है। बात चाहे यहा की लोक संस्कृति की हो या लोक पर्वो की, लोक परंपराओं की हेा या फिर लोक मान्यताओं, लोक कथाओं की या लोक विश्वासों की, लोक कहावतों की या लोकगीतों इस प्रदेश की समूची संस्कृति एवं प्रकृति शिवमय है। कांवड़ संस्कृति, श्रावणी जलाभिषेक, बम-बम भोले से गूंजता यह प्रदेश, शिव प्रदेश कहा जा सकता है। कुल मिलाकर इस प्रदेश के अनूठेपन में शिवत्म के मूलतत्वों में बड़ा हाथ है। कल्याणकारी पक्ष, चैतन्यता का संचारी भाव, अंतर्चेतना का जागृति भाव, सकारात्मक संपदा हमें इसी शिवत्व से मिली है। आइये भोलेनाथ, पशुपतिनाथ, विश्वनाथ, सोमनाथ, कुंभेश्वर, बटुकेश्वर, शैलेश्वर, नंदीश्वर, चदीश्वर व संगमेश्वर जैसी कई संज्ञाओं से अंलकृत शिव बाबा से देश और दुनिया में शिवत्व फैलाने की कामना करे।
सत्यवीर नाहड़िया, शिक्षाविद्
सेक्टर-एक, रेवाड़ी।