मलेरिया: रोकथाम की कोशिश पूरी, तैयारियां अधूरी
विश्व मलेरिया दिवस पर विशेष: रेड पट्टी में लगवाएं
-बड़े डंक वाले मच्छर का फोटो मिले तो लगाएं
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इस खबर से संबंधित फोटो फाइल संख्या 24आरईडब्ल्यूपी. 9 में है।
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-स्वास्थ्य विभाग के पास हैं केवल तीन फॉगिंग मशीनें
-जिले भर में छिड़काव की व्यवस्था है इन्हीं मशीनों के भरोसे
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी: आज विश्व मलेरिया दिवस है। आज से स्वास्थ्य विभाग भी मलेरिया को नेस्तनाबूद करने की नई कोशिशें शुरू कर रहा है। आज से विभाग की ओर से कई नए कार्यक्रमों की शुरुआत होने वाली है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इन कार्यक्रमों का संचालन संसाधनों के अभाव और अधूरी तैयारियों के बीच की करना होगा। स्वास्थ्य विभाग के पास मलेरिया से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधनों का अभाव है।
आकड़ों में विरोधाभास
पिछले साल जहां मलेरिया के 55 केस स्वास्थ्य विभाग के सामने आए थे, वहीं इस बार विभाग अब तक केवल एक ही केस आने का दावा कर रहा है। जबकि निजी अस्पतालों का रिकार्ड कुछ और बता रहा है। निजी चिकित्सकों के अनुसार एक सप्ताह में मलेरिया के तीन से पाच केस आते है।
तीन फॉगिंग मशीनों के सहारे पूरा जिला
स्वास्थ्य विभाग के पास पूरे जिले को मलेरिया से बचाने के लिए केवल तीन ही फोगिंग मशीन है। इन तीन मशीनों के सहारे पूरे जिले के गाव और शहर में फोगिंग कराना होता है। अप्रैल से सितंबर माह तक मलेरिया और डेगू का प्रकोप रहता है। इस अवधि में सीमित संसाधनों से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में फोगिंग कराना स्वास्थ्य विभाग के लिए संभव नहीं होता। एक मशीन में 20 लीटर दवा भरने की क्षमता है। अभी तक उच्च विभाग से फोगिंग के लिए दवा नहीं आई है।
आइएमए के अनुसार पर्याप्त नहीं है संसाधन
इडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) प्रधान नरेद्र यादव के अनुसार अब भी इक्का- दुक्का मलेरिया के आशकित मरीजों के सैंपल जाच के लिए आ रहे है। स्वास्थ्य विभाग को न केवल फॉगिंग कराना चाहिए, बल्कि एक बार फॉगिंग कराने के सात दिन बाद फिर लार्वा पनपता है। ऐसे में केवल एक बार फॉगिंग कराने से मलेरिया से रोकथाम करना संभव नहीं है।
लोगों को कर रहे जागरूक
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे है। 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर भी अभियान के तहत गोष्ठियां लगाई गई थीं। इसमें विभिन्न बीमारियों के बचाव व रोकथाम के बारे में जागरूक किया गया। तीन मशीनों को प्रशिक्षित कर्मचारी से फॉगिंग कराई जाती है। एक लीटर दवा में 19 लीटर डीजल मिलाकर पूरे एक गाव में फॉगिंग कराने की सुविधा होती है। इसलिए समय-समय पर तीनों मशीनों का संचालन उनकी निगरानी में होता रहता है।
-डा. जेके सैनी, मलेरिया अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, रेवाड़ी।