तीस वर्ष बाद जवाब देगी पुलिस
हौंद नरसंहार मामला: रेड पट्टी में लगाएं
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इस खबर से संबंधित फोटो फाइल संख्या 18 आरईडब्ल्यू. 23 व 24 में है।
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-जस्टिस टीपी गर्ग आयोग के सामने पेश होगे सिख दंगों के समय नियुक्त रहे पुलिस अधिकारी
-पुलिस अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हो चुके है तत्कालीन थाना प्रभारी
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: लगभग तीन वर्ष पूर्व अचानक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए रेवाड़ी जिले के गाव हौंद-चिल्हड़ के नरसंहार मामले में अब घटना के तीस वर्ष बाद तब की 'पुलिस' टीम अपना जवाब प्रस्तुत करेगी। मामले की जाच कर रहे जस्टिस टीपी गर्ग आयोग ने जवाब देने के लिए उन पुलिस अधिकारियों को तलब किया है जो 2 नवंबर 1984 को घटना के समय संबंधित थाने में नियुक्त थे।
जस्टिस गर्ग आयोग हिसार में इस मामले की सुनवाई कर रहा है। इस मामले में दो दिन पूर्व 16 अप्रैल को सुनवाई करते हुए जस्टिस गर्ग आयोग ने 8 मई की अगली तारीख मुकर्रर की है। गर्ग आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए जाटूसाना थाना के तत्कालीन एसएचओ (अब एसपी से सेवानिवृत्त) तथा तत्कालीन हेड कास्टेबल के अलावा रेवाड़ी के तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक को सम्मान भेजा है। पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे रेवाड़ी के वरिष्ठ अधिवक्ता रणजीत सिंह के अनुसार आयोग ने रेवाड़ी व नारनौल के तत्कालीन सिविल सर्जन, चिल्हड़ व हौंद गाव की संयुक्त पंचायत के तत्कालीन सरपंच धनपत सिंह, एसडीएम ऑफिस से एक प्रतिनिधि व लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी को भी बुलाया है। सिविल सर्जनों को बुलाने का उद्देश्य इस बात का पता लगाना है कि क्या दंगों के दौरान एक साथ बड़ी संख्या में लोगों के पोस्टमार्टम हुए थे? लोक निर्माण विभाग से यह पता लगाया जाएगा कि दंगों में मकानों को जलाने व ध्वस्त करने से कितना नुकसान हुआ था? इसी क्रम में एसडीएम कार्यालय से यह पता लगाया जायेगा कि उस समय किस को कितना मुआवजा दिया गया था। दिया भी गया था या नहीं?
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'जस्टिस गर्ग आयोग ने अगली तारीख 8 मई निर्धारित की है। गवाहियों को काम पहले ही पूरा हो चुका है। अब आयोग को मुआवजा निर्धारित करने व पीड़ित परिवारों को अन्य राहत देने के संबंध में निर्णय लेना है। मामले की व्यापक जाच के दृष्टिगत ही आयोग ने तत्कालीन पुलिस अधिकारियों व अन्य संबंधियों को सम्मन भेजे है।'
रणजीत सिंह एडवोकेट
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता।