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लीड:---पर्यटन से बदल सकती है जिले की तस्वीर

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 07:52 PM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 07:52 PM (IST)
लीड:---पर्यटन से बदल सकती है जिले की तस्वीर

विश्व विरासत दिवस विशेष:

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फोटो: 17 एनएआर 07, 08 व 09

-समय के साथ धुंधली हो रही है यहां की तस्वीर

-पर्यटन को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए द्वार खुल सकते हैं

दया वशिष्ठ, नारनौल : बीरबल की नगरी के रूप में पहचाना जाने वाला नारनौल शहर अपनी ऐतिहासिक इमारतों के कारण शुरु से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। पूर्व से ही दर्शक यहां की ऐतिहासिक धरोहर व संस्कृति को देखने के लिए आते रहे हैं, लेकिन समय के साथ यहां की तस्वीर धुंधली होने से पर्यटकों का रुझान कुछ कम होने लगा है।

विश्व विरासत दिवस मनाने के लिए नारनौल आने वाली पुरातत्व विभाग की टीम से लोगों को उम्मीद है कि जिले की सभी इमारतों को सुंदरता को बढ़ाकर एक अच्छा पर्यटक स्थल विकसित किया जाए, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए द्वार खुल सकें।

नारनौल की ऐतिहासिक इमारतों की तरफ दर्शकों के कम होते रुझान बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन व पुरातत्व विभाग ने आपसी सहयोग से एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया है। प्रदर्शनी यहां के जल महल में लगेगी, जिसमें सभी ऐतिहासिक इमारतों की फोटो लगेंगी।

पुरातत्व विभाग की टीम के नारनौल आने के साथ ही ऐतिहासिक इमारतों में सुधार की गुंजाइश नजर आने लगी है। टीम द्वारा शहर के सभी ऐतिहासिक स्मारकों की सुंदरता को बढ़ाने व जर्जर हालत को सुधारने के लिए सर्वे किया जाएगा। काफी लंबे अरसे से सुधार की आवश्यकता महसूस कर रही इन इमारतों के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। टीम सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर इनकी सुंदरता को बढ़ाने व हालात बेहतर बनाने के लिए काम शुरू करेगी।

प्रशासन व पुरातत्व विभाग लगातार कोशिश करे तो नारनौल को एक अच्छे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित किए जाने से दर्शकों की संख्या बढ़ने से जहां एक ओर पर्यटन विभाग व प्रशासन अपनी आमदनी कर सकता है, वहीं दूसरी तरफ लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ने की भी पूरी संभावना रहेगी।

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देखरेख के अभाव में खंडहर हो रही है अलीवली खान की बावड़ी

पुनीत भारद्वाज, नारनौल : आज जहां पूरी दुनिया में विश्व विरासत दिवस मनाया जा रहा है, तो इस दिन नारनौल की मुगलकालीन ऐतिहासिक विरासतों को भी नहीं भुलाया जा सकता। इन मुगलकालीन विरासतों पर यद्यपि केंद्र और राज्य सरकार की निगाहें होते हुए भी इनकों बचाने के प्रयास तक नहीं किए जा रहे है।

ऐतिहासिक एवं पौराणिक नगर नारनौल अनेक प्राचीन स्मारकों को अपने आंचल में संजोए हुए है, लेकिन इन स्मारकों एवं अनेक हवेलियों में कुछ ऐसे हैं, जिनको समय की मार और प्रशासन की अनदेखी ने नष्ट होने की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। नारनौल में कुल 14 ऐतिहासिक स्मारक हैं, जिनमें तीन स्मारक केंद्रीय पुरातत्व विभाग और 11 हरियाणा राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित हैं।

इन स्मारकों में एक प्रसिद्घ स्मारक है अलीवली खान की बावड़ी जिसे लोग अलीजान की बावड़ी तथा तख्त वाली बावड़ी भी कहते हैं। यह बावड़ी मोहल्ला संघीवाड़ा और जनक सागर के बीच स्थित है। इसका निर्माण कराने वाले अलीवली खान दिल्ली के बादशाह अकबर के जागीरदार थे। इस बावड़ी का निर्माण 1561 ई. के आसपास बताया जाता है। इस बावड़ी के ऊपर एक हवादार कमरेनुमा बरामदा है, जिसके ऊपर जाने के लिए दोनों ओर सीढि़यां बनाई गई हैं। बरामदे के ऊपर एक सुंदर संगमरममर का 21 फुट लंबा, 9 फुट चौड़ा तथा 8 फुट ऊंचा तख्त बना है। जो चित्र में अब भी दिखाई दे रहा है। अब इस बावड़ी की हालत भी ऐसी होती जा रही है कि इस पर भी यदि सरकार ने कुछ समय और ध्यान नहीं दिया तो यह भी खंडहर में तब्दील हो जाएगी।

यह बावड़ी हरियाणा पुरातत्व विभाग के आधीन आ जाने पर भी वर्तमान में यह धरोहर अपनी बदहाली पर आंसू बहाने के लिए मजबूर है। इसके बावजूद भी इसे देखने के लिए बहुत लोग आते हैं। परंतु देखने वालों को इसकी हालत देखकर बहुत निराश होना पड़ता है। इस स्थान को शौच आदि के लिए प्रयोग किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने लगभग एक दशक पूर्व इस बावड़ी की आंशिक मरम्मत भी कराई थी, जिसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। यदि सरकार ने इस ऐतिहासिक स्मारक पर कुछ दिन और ध्यान नहीं दिया तो इसे नेस्तनाबूद होने से नहीं बचाया जा सकता हैं।

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''ऐतिहासिक इमारतों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। नारनौल को एक अच्छे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किए जाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है।

- अतुल कुमार, जिला उपायुक्त, नारनौल।


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