फिर जमाव बिंदु पर पहुचा पारा, शीतलहर ने बढ़ाई ठिठुरन
- 0.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचा न्यूनतम तापमान
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : पिछले कई दिनों से चल रही शीत लहर का दौर लगातार जारी है, जिसके चलते सामान्य जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। बुधवार को न्यूनतम तापमान जहा 0.5 डिग्री सेल्सियस रहा। तापमान में गिरावट के कारण दिनभर ठिठुरन कायम रही।
हालाकि मंगलवार को जिले में न्यूनतम तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था लेकिन अगले दिन ही बुधवार को तापमान में एक डिग्री की गिरावट होने से ठड के तेवर फिर से तीखे हो गए। हालाकि जिले में अधिकतम तापमान अब तक 16 से 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। इससे दिन के समय कुछ राहत अवश्य मिल जाती है। बुधवार को अधिकतम तापमान 20.5 डिग्री रहा जबकि मंगलवार को यह 18.5 डिग्री था। बुधवार को शीतलहर चलने के कारण अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी के बाद भी राहत नहीं मिली। कड़ाके की ठड के कारण सड़कों पर पूरी तरह से सन्नाटा छाया रहा तथा दिन के समय भी बाजारों में रौनक गायब रही। सर्दी बढ़ने से अब शहर में जगह-जगह अलाव भी नजर आने लगे है। कड़ाके की ठड में दुकानदारों का कामकाज भी सर्दी के कारण मंदा पड़ गया है। सुबह से शाम तक सूर्य के दर्शन न होने से लोगों को कपड़े सुखाने में भी मुश्किलें आई।
कोहरा हटा, पाला पड़ने की संभावना बढ़ी
जिले में गत 5 जनवरी को हुई बारिश के बाद तापमान में काफी सुधार हुआ था। इसके बाद कोहरा छाने से पाला नहीं गिरा। अब कोहरा हटने के बाद न्यूनतम तापमान में हुई गिरावट के बाद पाला गिरने की संभावना बढ़ गई है। कोहरा कम होने के बाद भी यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। बुधवार को भी यहा से गुजरने वाली अधिकाश ट्रेनें अपने निर्धारित समय से डेढ़ से दो घटे की देरी से पहुची। जम्मूतवी से अजमेर जाने वाली पूजा एक्सप्रेस, जैसलमेर-दिल्ली इटरसिटी एक्सप्रेस, न्यू भुज से बरेली जाने वाली आला हजरत एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेनें अपने निर्धारित समय से डेढ़ से दो घटे की देरी से पहुची।
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'न्यूनत तापमान में गिरावट के कारण पाला गिरने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में फसलों को बचाने के लिए किसान सिंचाई अवश्य करे। जिन किसानों ने फसलों में पानी नहीं दिया है तो वे जल्द ही पानी दें। फल वाले पौधों को सरकंडे लगाकर उन्हे अधिक सर्दी से बचाना चाहिए। पाला पड़ने की स्थिति में केवल हल्की सिंचाई करें तथा पाला पड़ने की स्थिति पैदा होने पर फव्वारा सिंचाई नहीं बिल्कुल भी नहीं करे, क्योंकि फव्वारे से निकली बूंदे ही बर्फ बनकर पत्तियों व फलियों को नुकसान पहुचाती है।'
-डॉ. संजू यादव, एडीओ, नागल मूंदी।
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