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Congress के हारने की बड़ी वजह आई सामने, BJP ने पहले ही तैयार कर लिया था ये प्‍लान

कांग्रेस प्रत्याशी पूरे लोकसभा में ठीक से प्रचार तक नहीं कर सके और पार्टी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन भी इतना मजबूत नहीं रहा। इन्हीं सबके चलते हार मिली।

By Edited By: Published: Sat, 25 May 2019 07:51 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2019 11:22 AM (IST)
Congress के हारने की बड़ी वजह आई सामने, BJP ने पहले ही तैयार कर लिया था ये प्‍लान
Congress के हारने की बड़ी वजह आई सामने, BJP ने पहले ही तैयार कर लिया था ये प्‍लान

पानीपत, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी की पन्ना प्रमुख से लेकर ऊपर तक की जबरदस्त मैनेजमेंट उनकी बड़ी जीत का सबसे बड़ा कारण रहा। विधायकों को लोकसभा प्रत्याशी को जीताने की न केवल जिम्मेदारी सौंपी गई, बल्कि इसका फीडबैक भी लिया। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पानीपत में विधायकों से उनकी रिपोर्ट ली।

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यह प्रदेश में शायद पहली बार हुआ। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी पूरे लोकसभा में ठीक से प्रचार तक नहीं कर सके और पार्टी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन भी इतना मजबूत नहीं रहा। इन्हीं सबके चलते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप शर्मा को मात्र 19.64 प्रतिशत वोटों में संतोष करना पड़ा। इसके विपरित भाजपा प्रत्याशी संजय भाटिया 70.08 प्रतिशत रिकॉर्ड वोट लेकर आगे आए। लोकसभा चुनाव के नतीजों के शुक्रवार को आकलन लगते रहे। कोई जीत को जोड़कर देख रहा था और कोई अपनी हार के ही कारणों को जानने में जुटा हुआ था।

भाजपा की जीत के ये तीन बड़े कारण
जनता की नब्ज को ढूंढा भाजपा ने इस पर पार्टी और बेरोजगारी की बजाय राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रैलियों में प्रत्याशियों को नहीं बल्कि देश की मजबूती के लिए वोट मांगे, उनका राष्ट्रवाद का मुद्दा जनता को छू गया। विपक्ष भी इसके आगे धराशाही हो गया। एक आम आदमी से लेकर पढ़ा लिखा और नौकरीपेशा वाला व्यक्ति भी देशभक्ति के रंग में रंग गया। इसका परिणाम प्रदेश ही एक नहीं सभी दसों सीटों पर देखने को मिले।

धरातल पर उतकर काम किया भाजपा ने
इस बार लोकसभा चुनाव में जमीनी स्तर पर काम किया। पार्टी ने बूथ लेवल कमेटियों को पिछले चुनाव में मजबूत बनाया था। इस बार पन्ना प्रमुख बनाकर उनको जिम्मेदारी सौंपी। दूसरा भाजपा का आइटी सैल सबसे मजबूत रहा। हर मुद्दे को जनता तक पहुंचाया। यही नहीं विपक्ष की कमजोर कड़ी से भी जनता को बताया गया।

जातिवाद दिखाई नहीं दिया, पर परिणामों असर पड़ा
लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी और प्रत्याशी ने जातिवाद का नारा नहीं दिया और न ही इस पर राजनीति की। इन सबके बीच भी चुनाव परिणामों में जातीय समीकरण हार-जीत के बड़े कारण बने। प्रदेश में 2016 का आरक्षण आंदोलन सबसे बड़ा सवाल बना। लोगों ने इसको खुलकर बेशक नहीं कहा, लेकिन अंदरखाते सब अपनी जाति के साथ मजबूत दिखे। भाजपा का इसको भी पूरा फायदा इस चुनाव में मिला।

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कांग्रेस की हार के तीन बड़े कारण
कांग्रेस के पास मोदी की बराबर का चेहरा न होना सबसे बड़ा कारण रहा। हालांकि राहुल गांधी इस बार चुनाव में काफी एक्टिव दिखे, लेकिन वे मोदी के मैजिक को तोड़ नहीं पाए। भाजपा के जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने और धारा 370 हटाने की कही। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इसके खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी। देश की जनता ने इस पर 72 हजार देने की घोषणा को भी पीछे छोड़ दिया। कांग्रेस पांच साल में ब्लॉक और जिला कार्यकारिणी का गठन नहीं कर सकी। ऐसे में पार्टी अकेले प्रदेशाध्यक्ष के सहारे ही चल रही थी। इसमें भी लगातार बदलाव की बात उठती रही। कांग्रेस ने देर से प्रत्याशी घोषित किए, लेकिन वे भी प्रचार ठीक से नहीं कर पाए। गुटबाजी में बटी कांग्रेसियों ने एक दूसरे का साथ तक नहीं दिया। ये भी हार का बड़ा कारण रहा। कांग्रेस के कई बड़े नेता इस चुनाव में पूरी तरह से दूरी बनाए रहे। जबकि पानीपत शहर में 25 साल तक कांग्रेस का विधायक रहा। इस बार शहर के 60 प्रतिशत बूथों के अंदर और बाहर कार्यकर्ता तक नहीं मिला। पहले कांग्रेस को शहर में 87 हजार वोट मिले थे वे अब घटकर 23 हजार ही रह गया। इसके पीछे जातीय समीकरण भी हैं।

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