बंदूक का बैरल साफ कर रहे रिटायर्ड फौजी के सीने में लगी गोली, मौत
रिवॉवर या पिस्तौल में गोली निकलती है। बंदूक में कारतूस। कारतूस से र्छे निकलते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि कारतूस से निकलने के बाद छर्रे 45 डिग्री में फैल जाते हैं।
जेएनएन, सनौली। धनसौली गांव में संदिग्ध हालात में गोली लगने से रिटायर्ड फौजी वेदप्रकाश (55) की मौत हो गई। परिजनों का दावा है कि फौजी बंदूक साफ कर रहा था। जबकि सीनियर सांइटिफिक ऑफिसर डॉ. नीलम आर्य ने इससे इंकार किया है। क्योंकि मौके से बंदूक की सफाई का सामान नहीं मिला है। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया।
धनसौली का वेदप्रकाश 1990 में सेना से रिटायर्ड हो गया था। उसकी गांव में डेयरी है। रविवार सुबह 7 बजे वह बंदूक की बैरल साफ कर रहा था। अचानक गोली की आवाज आई। परिजन पहुंचे तो उसकी छाती में गोली लगी थी। ग्रामीण भी इकट्ठे हो गए। उसे सिविल अस्पताल भिजवाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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कारतूस से निकलते हैं छर्रें
रिवॉवर या पिस्तौल में गोली निकलती है। बंदूक में कारतूस। कारतूस से र्छे निकलते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि कारतूस से निकलने के बाद छर्रे 45 डिग्री में फैल जाते हैं। इसलिए छाती में कई छर्रे थे। कारतूस कई प्रकार के होते हैं। पुलिस यह पता लगा रही है कि कौन सा कारतूस था।
दोनों बेटे व बेटी शादीशुदा
वेदप्रकाश के दो बेटे और एक बेटी है। तीनों शादीशुदा हैं। दोनों बेटे डेयरी का काम करते हैं। सुबह छोटा बेटा प्रदीप दूध देने गया था। फौजी सामाजिक आदमी था। धार्मिक कार्यो में भी रुचि थी।
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सफाई का नहीं मिला सामान
सीनियर सांइटिफिक ऑफिसर डॉ. नीलम आर्य का कहना है मौके से बंदूक साफ करने का कोई सामान नहीं मिला है। इसलिए केस एक्सीडेंटल नहीं है। पुलिस की जांच के बाद वास्तविकता का पता चल सकेगा।
दिल पर लगी गोली, फेफड़ा फटा
एक्सरे में छाती में 10-15 छर्रे दिखाई दिए। डॉ. जोगिंद्र दूहन और डॉ. मोना, ने बताया कि र्छे लगने के कारण फेफड़ा फट गया था। छर्रे दिल पर भी लगे हुए थे। छाती में खून था। फेफड़ा फटने मौत हुई। बिसरा रिपोर्ट से वास्तविकता का पता चलेगा।
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